हरिद्वार। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि गुरु ही शिष्य को ज्ञान से परिपूर्ण कर उसके बेहतर भविष्य का निर्माण करते हैं। कनखल स्थित श्री ज्ञान मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को गुरु महिमा का रसपान कराते हुए स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गुरु का आशीर्वाद जरूर रहता है। इस संसार में माता और गुरु दो ही ऐसे व्यक्ति हैं। जिनका आशीर्वाद हमारे जीवन को सफल बनाता है। हमें गुरु को नमन करना चाहिए और हर शुभ कार्य में गुरु की आज्ञा लेनी चाहिए। गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान का सदुपयोग कर सभी को अंधकार रूपी अज्ञान से दूर रहकर अपनी छवि को शिक्षित बनाना चाहिए। ज्ञान एकमात्र ऐसी वस्तु है जो बांटने से कम नहीं होती बल्कि और बढ़ती है। गुरु अपने शिष्य को शिखर की ओर ले जाते हैं और उसके जीवन को सरल बनाते हैं। गुरु की महिमा अपरंपार है। जो अपने भक्तों की नैया को भव सागर से पार लगाते हैं। स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरु का ऋण जीवन में कोई नहीं उतार सकता। जीवन में यदि गुरु की कृपा का पात्र बनना है तो गुरु के बताए उपदेशों का पालन करना चाहिए और गुरु की प्रेरणा को अपने जीवन में आत्मसात कर उसे अपने व्यवहार में शामिल करना चाहिए। तभी व्यक्ति एक सफल जीवन की प्राप्ति कर सकता है।
हरिद्वार। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि गुरु ही शिष्य को ज्ञान से परिपूर्ण कर उसके बेहतर भविष्य का निर्माण करते हैं। कनखल स्थित श्री ज्ञान मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को गुरु महिमा का रसपान कराते हुए स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गुरु का आशीर्वाद जरूर रहता है। इस संसार में माता और गुरु दो ही ऐसे व्यक्ति हैं। जिनका आशीर्वाद हमारे जीवन को सफल बनाता है। हमें गुरु को नमन करना चाहिए और हर शुभ कार्य में गुरु की आज्ञा लेनी चाहिए। गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान का सदुपयोग कर सभी को अंधकार रूपी अज्ञान से दूर रहकर अपनी छवि को शिक्षित बनाना चाहिए। ज्ञान एकमात्र ऐसी वस्तु है जो बांटने से कम नहीं होती बल्कि और बढ़ती है। गुरु अपने शिष्य को शिखर की ओर ले जाते हैं और उसके जीवन को सरल बनाते हैं। गुरु की महिमा अपरंपार है। जो अपने भक्तों की नैया को भव सागर से पार लगाते हैं। स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरु का ऋण जीवन में कोई नहीं उतार सकता। जीवन में यदि गुरु की कृपा का पात्र बनना है तो गुरु के बताए उपदेशों का पालन करना चाहिए और गुरु की प्रेरणा को अपने जीवन में आत्मसात कर उसे अपने व्यवहार में शामिल करना चाहिए। तभी व्यक्ति एक सफल जीवन की प्राप्ति कर सकता है।
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