हरिद्वार। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज ने कनखल स्थित हरिहर आश्रम में गुरू पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। उसी प्रकार गुरु के सानिध्य में साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। गुरू ही शिष्य के जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश करते हैं। स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज ने कहा कि अंधकार को प्रकाश में बदलने की शक्ति रखने वाले गुरू को सभी धर्मों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जो शिष्य गुरू की आज्ञा का पालन करते हुए सद्मार्ग पर चलते हैं। गुरू कृपा से उनका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि गुरू पूर्णिमा गुरू के प्रति सम्मान व कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है। गुरू के प्रति सम्मान व कृतज्ञता प्रदर्शित करने के साथ शिष्यों को गुरू द्वारा दी गयी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए समाज के निर्बल वर्ग की सेवा का संकल्प भी लेना चाहिए।
हरिद्वार। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज ने कनखल स्थित हरिहर आश्रम में गुरू पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। उसी प्रकार गुरु के सानिध्य में साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। गुरू ही शिष्य के जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश करते हैं। स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज ने कहा कि अंधकार को प्रकाश में बदलने की शक्ति रखने वाले गुरू को सभी धर्मों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जो शिष्य गुरू की आज्ञा का पालन करते हुए सद्मार्ग पर चलते हैं। गुरू कृपा से उनका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि गुरू पूर्णिमा गुरू के प्रति सम्मान व कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है। गुरू के प्रति सम्मान व कृतज्ञता प्रदर्शित करने के साथ शिष्यों को गुरू द्वारा दी गयी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए समाज के निर्बल वर्ग की सेवा का संकल्प भी लेना चाहिए।
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