हरिद्वार। 81 वर्षीय आर के चावला की मृत्यु उपरांत उनका पार्थिव देह हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस जौलीग्रांट को अर्पित किया गया। उनकी पत्नी कैलाश रानी चावला एवं बेटी नेहा मलिक ने समाज में एक मिसाल कायम करते हुए नेत्रदान के बाद देहदान भी कर दिया। आरके चावला का उनके निवास हरे राम आश्रम पर मृत्यु उपरांत सांकेतिक रूप से बाल एवं नाखूनों से वैदिक रीति से संस्कार किया गया। बाकी उनका पूरा शरीर हॉस्पिटल को अन्य लोगों की भलाई के लिए दे दिया गया। मुस्कान फाउंडेशन की अध्यक्षता नेहा मलिक ने एक बार फिर समाज को मरने के बाद भी जीने का रास्ता दिखाया। आरके चावला की इकलौती पुत्री हैं 2018 में नेहा ने अपने पति नीरज मलिक की भी मृत्यु के बाद देह-दान किया था, उनका कहना है कि जितना समाज को हम दे सके उतना कम है मरने के बाद तो एक मुट्ठी खाक रह जाना है तो क्यों ना देहदान कर कितने लोगों की जान बचाई जा सकती है। एक व्यक्ति की आंखों से 4 नेत्रहीन देख सकते हैं और मेडिकल छात्रों के लिए पार्थिव देह की बहुत कमी है हमारे देश में. इसलिए उनके पिता आरके चावला ने जीते जी देहदान का संकल्प किया था। गौरतलब है कि नेहा मलिक के ससुर ने भी नेत्रदान कर एक मिसाल कायम की थी। नेहा के सुपुत्र जॉली मलिक में अपने नाना का अंतिम संस्कार सांकेतिक रूप से किया। श्रद्धांजलि देने वालों में मुस्कान मलिक,माधवी भट्टाचार्य मुस्कान फाउंडेशन के सदस्य ज्योत्सना,विवेक मूंगा,समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा,डॉ श्याम सिसोदिया,सौरभ अरोड़ा मौजूद थे. नेहा मलिक बताती है कि उनके पति नीरज मलिक ने परिवार के सभी सदस्यों को प्रोत्साहित किया था कि वह समाज के लिए मरने के बाद भी अपना योगदान दें और वह सबको नेत्रदान देहदान के लिए कई वर्ष तक प्रोत्साहित करते रहे उसी का नतीजा था कि नेहा के पिता ने भी दे दान का संकल्प किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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