हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि के योग विज्ञान विभाग में योग द्वारा स्वास्थ्य,आनन्द और समरसता विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि जो भी व्यक्ति किसी न किसी रूप में योग के अभ्यासों जैसे यम-नियम,आसन,प्राणायाम,ध्यान आदि का अभ्यास अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल कर लेता है,उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधरने लगता है। जीवन में सामंजस्यता एवं आनन्द का विकास होने लगता है। अतः जीवन में योग का स्थान सर्वोपरि है। योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि मनुष्य जीवन कष्टों से परिपूर्ण है। जो व्यक्ति स्वयं के प्रति जागरूक होता है, वह अपने कष्टों से निवृत्ति पाने के उपायों को अपनाने लगता है। देव संस्कृति के प्रो. सुरेश वर्णवाल ने कहा कि योग मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए अचुक उपाय है। मनुष्य का मन और भावनाएं स्थिर न रह पाने के कारण मानसिक विकृतियां पनपने लगती है। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. ऊधम सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य संवर्धन के लिए शौच, ब्रह्मचर्य एवं तपस्या का अभ्यास जीवन में करना चाहिए। समरसता के लिए प्रेम का होना आवश्यक है। इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने योग विज्ञान विभाग के यू टयूब चौनल कैवल्यम का शुभारम्भ किया। यह चौनल विद्यार्थियों योग जिज्ञासियों का समाधान करने में सक्षम होगा। इस अवसर पर डॉ.योगेश्वर दत्त,डॉ.राजीव शर्मा,डॉ.निष्कर्ष,डॉ.सत्यानन्द, डॉ.संदीप वेदालंकार,दीपक आनन्द,उदित कुमार,धर्मेन्द्र बिष्ट,मोहन सिंह,जितेन्द्र मोहन,निकुंज ,योगेन्द्र,ओनित,देवेश, मोनिका,कृष्णा, रेशु आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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