हरिद्वार। लोककल्याण के लिए श्री दक्षिण काली मंदिर में शिव आराधना के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा का सार समझाते हुए निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रावण मास शिव आराधना के लिए समर्पित है। श्रद्धालु भक्तों को सच्चे मन से शिव आराधना में अपना समय बिताना चाहिए। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव को जलाभिषेक प्रिय है। परिवारों में सुख समृद्धि चाहते हैं तो भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान शिव का स्मरण करने मात्र से ही कष्ट दूर हो जाते हैं। संसार के कल्याण के लिए हलाहल विष को अपने कंठ में धारण करने वाले भगवान शिव मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि कष्टों से मुक्ति पानी है तो शिव के शरणागत होकर उनकी आराधना करें। लाखों करोड़ों शिवभक्त कांवड़िएं गंगाजल लेने धर्मनगरी पहुंच रहे हैं। कठिन यात्रा करते हुए लंबी दूर तय कर गंगा जल लेकर अपने गंतव्यों की और लौट रहे कांवड़ियों की सेवा करें। उन्होंने कहा कि भगवान शिव पूरे श्रावण मास कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान रहकर सृष्टि का संचालन करते हैं। इसलिए हरिद्वार के गंगातट पर साक्षात रूप से विराजमान भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के इस अवसर का लाभ उठाते हुए पूर्ण विधि विधान से उनकी आराधना करें। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी,स्वामी रघुवीरानन्द,स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी,स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी,महंत लालबाबा ,बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी,स्वामी अनुरागी महाराज,पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
Comments
Post a Comment