हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए कहा कि कांवड़ मेला भगवान शिव को समर्पित है। कांवड़ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालु शिवभक्त कांवड़ियें हरिद्वार से गंगाजल ले जाकर अपने अभिष्ट शिवालयों में महादेव शिव का अभिषेक करते हैं। जलाभिषेक से प्रसन्न होकर भोलेनाथ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। निरंजनी अखाड़ा स्थित चरण पादुका मंदिर में शिव आराधना के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक किए जाने की प्रथा के विषय में उन्होंने बताया कि देवताओं द्वारा राक्षसों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से अन्य रत्नों के साथ हलाहल विष भी उत्पन्न हुआ। देवताओं की पुकार पर भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में धारण किया। विष के प्रभाव से उत्पन्न हुई गर्मी के चलते भगवान का कंठ नीला हो गया। इस कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा। गर्मी से भगवान शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए देवताओं द्वारा भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। इसके बाद से ही जलाभिषेक किए जाने की परम्परा शुरू हुई। पौराणिक काल से चली आ रही इस परम्परा का अब भी श्रद्धालु भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ पालन किया जा रहा है। लाखों शिवभक्त कांवड़िएं गोमुख, ऋषिकेश व हरिद्वार से गंगाजल लेजाकर गांव-गांव में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि कांवड़ यात्रा सद्भाव की प्रतीक भी है। शिवभक्तों द्वारा ले जायी जाने वाली कांवड़ मुस्लिम समुदाय द्वारा ही तैयार कर सजायी जाती है। जिससे आपसी सद्भाव व भाईचारा बढ़ता है। इस दौरान श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने श्रीमहंत रविन्द्रपुरी को अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर चौधरी कुलदीप वालिया,रजनी वालिया, रकित वालिया ने भी श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज से आशीर्वाद लिया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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