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युग निर्माण में नारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका: शेफाली पण्ड्या


 हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय गायत्री तीर्थ शांतिकुंज ने वर्ष २०२२ को नारी सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया है। यह वर्ष गायत्री परिवार का मातृशक्तियों के चहुंमुखी विकास के लिए विभिन्न रचनात्मक एवं प्रशिक्षणात्मक कार्यक्रम हेतु निर्धारित है। इस अभियान को  गति देने के उद्देश्य से शांतिकुंज से जुलाई के मध्य में विभिन्न प्रशिक्षणात्मक कार्यक्रम के लिए गायत्री तीर्थ से ब्रह्मवादिनी बहिनों की टोलियाँ रवाना होंगी। कार्यक्रम में रवाना होने से पूर्व बहिनों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आज शुभारंभ हुआ। गायत्री विद्यापीठ की व्यवस्था मण्डल प्रमुख श्रीमती शेफाली पण्ड्या एवं वरिष्ठ बहिनों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। अपने संदेश में संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि महिलाओं में आत्म गौरव का जागरण, उनका परिपूर्ण शिक्षण, उनके स्वास्थ्य संवर्धन हेतु सर्वांगपूर्ण उपचार ये प्रमुख आवश्यकताएँ हैं। इतना बन पड़ने पर वे पुरुषों का साथ बराबर की भागीदारी कर सकती हैं। श्रद्धेया शैलदीदी ने प्रशिक्षित एवं समर्थ बहिनों को समाज व राष्ट्र हित में नारियों को प्रशिक्षण देने हेतु आगे आने का आवाहन किया। शिविर के प्रथम दिन शिविर को संबोधित करते हुए श्रीमती शेफाली पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापक पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने नारी को समाज का महत्त्वपूर्ण अंग कहा है। नारी शक्ति के विकास के बिना समाज के विकास की कल्पना अधूरी है। उन्होंने कहा कि आज नारी शक्ति खेल, विज्ञान, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में अपना परचम फहरा रही है। इस बीच अभी भी कुछ क्षेत्र विशेष में नारी शक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है। गायत्री परिवार की बहिनें ऐसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण शिविर चलायेंगी और नारी शक्ति के जागरण और विकास के लिए संगीत, भाषण आदि विधाओं की सीखने के लिए प्रेरित करेंगी और प्रशिक्षण देंगी। उन्होंने कहा कि अंधविश्वास और कुरीतियों से ऊपर उठकर कार्य करने के लिए भी ट्रेनिंग दी जायेगी। इस अवसर पर डॉ.ओपी शर्मा,डॉ.गायत्री शर्मा,प्रो.प्रमोद भटनागर आदि सहित शांतिकुंज,ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार की बड़ी संख्या में बहिनों एवं वरिष्ठ कार्यकर्त्तागण उपस्थित रहे।


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