हरिद्वार। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद नई दिल्ली के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने घोषणा करते हुए कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विवि को पूरे देश का भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र बनाया जाएगा। इसमें देश के इंजीनियरिंग के अध्यापकों को भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। बहुत जल्द ही गुरुकुल में पचास प्राध्यापकों का एक ग्रुप यह ट्रेनिंग लेने के लिए आएगा। यह बातें उन्होंने गुरुकुल में आयोजित कार्यक्रम में कहीं। गुरुकुल कांगड़ी विवि के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय की ओर से अकादमिक संस्थानों एवं उत्तराखंड की विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के साथ अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया। चेयरमैन प्रो.अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि आधुनिक समय में जितने कुशल व्यक्तियों की आवश्यकता है उतनी सभी अकादमी संस्थान मिलकर भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं जिसका कारण मुख्य कारण है कि तकनीकी शिक्षा के दौरान औद्योगिक प्रशिक्षण ना मिल पाना। उन्होंने कहा कि अकादमिक एवं औद्योगिक सहयोग कार्यक्रमों से छात्रों को प्रशिक्षण आदि में सुधार होगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रूप किशोर शास्त्री ने भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र स्थापित होने पर आभार व्यक्त किया। कुलपति ने कहा कि यहां छात्र को एक अच्छे इंजीनियर बनाने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान बनाया जाता है। सिडकुल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र कुमार गर्ग ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से संस्थानों को औद्योगिक इकाइयों से जुड़ने का मौका मिलेगा और प्रशिक्षण का छात्रों को लाभ होगा। इस मौके पर कुलसचिव डॉ सुनील कुमार,राज अरोड़ा, पंकज मदान,डॉ विपुल शर्मा,डॉ.तनुज गर्ग, डॉ.सुनील पंवार, डॉ.मुरली मनोहर तिवारी,डॉ. विवेक गोयल,डॉ.सुयश भारद्वाज, डॉ.निशांत कुमार, संजीव लांभा,डॉ.लोकेश जोशी आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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