हरिद्वार। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही भारी बरसात के चलते हरिद्वार में भी गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गंगा का जलस्तर बढने पर सिंचाई विभाग ने ऐहतियात के तौर पर गंगनहर को बंद कर दिया है। गंगा में जलस्तर बढ़ने पर चेतावनी निशान 293 माना जाता है और 294 को डेंजर जोन माना जाता है। भीमगोडा बैराज पर शनिवार को 2 लाख 33 हजार 982 क्योसेक पानी गंगा में आ रहा है। जबकि बैराज से 2 लाख 22 हजार 295 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। जलस्तर बढ़ने पर भीमगोडा बैराज से निकलने वाली गंगा नदी के किनारे बसे गांवों को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है। हरिद्वार जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा इस पर लगातार नजर रखी जा रही है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जेई संदीप जैन ने बताया कि शुक्रवार शाम से पहाड़ों पर हो रही भारी बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ गया था। अब धीरे-धीरे गंगा का जलस्तर कुछ कम हुआ है। इससे अभी निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं है। लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग और हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा जनस्तर पर नजर रखी जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा निचले इलाकों में गंगा से लगे क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया गया है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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