हरिद्वार। जगजीतपुर पीठ बाजार स्थित प्राचीन श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में मंदिर के व्यवस्थापक और मुख्य यजमान कुलदीप वालिया के संयोजन में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य नरेश चन्द्र शास्त्री ने कहा कि भागवत भक्ति मोक्षदायक है। मोक्ष प्रदान करने वाली श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से श्रद्धालु भक्त का जीवन बदल जाता है। उन्होंने कहा कि कथा के श्रवण से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और सोया हुआ ज्ञान वैराग्य जागृत हो जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है और श्रावण मास में गंगा तट पर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण व आयोजन दोनों बेहद पुण्यदायी हैं। समय निकालकर सभी को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। साथ ही दूसरों को भी कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। कथा से मिले ज्ञान को जीवन व्यवहार में धारण करें और उसके अनुरूप आचरण करें। उन्होंने कहा कि अन्य युगों में पुण्य प्राप्त करने के लिए जहां अनेक यत्न करने पड़ते थे। वहीं कलियुग में श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है। कथा के मुख्य यजमान कुलदीप वालिया एवं रजनी वालिया ने व्यासपीठ की पूजा की और सभी श्रद्धालु भक्तों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि परिवार सहित कथा श्रवण के अवसर का लाभ उठाएं। बच्चों में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए धार्मिक क्रियाकलापों के माध्यम से उनको संस्कारवान बनाना चाहिए। इस अवसर पर यज्ञाचार्य पंडित पंकज जोशी,पार्षद विकास कुमार,अनिल मिश्रा, नितीशचौधरी,रजनीवालिया,रेखा,रितिका,ख्यातिजौहरी,स्वाति,अनुष्का,सुनीता,नीलम,पूनम,कौशल ,शिवानी जौहरी,रश्मि जौहरी,पुष्पा,सोनिका,उषा, ब्रजेश सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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