गौरवपूर्ण अतीत स्मरण कराने में स्वामी रामदेव का विराट योगदानः आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। पतंजलि अनुसंधान संस्थान एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तृतीय दिन आध्ुनिक चिकित्सा विज्ञान के विद्वानों एवं वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों से ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में चुनौतियों पर मंथनः आधुनिक औषधियों और आयुर्वेद पर एकीकृत दृष्टिकोण’ विषय पर अपने महत्वपूर्ण एवं शोधपरक अनुभव साझा किया। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरेे दिन प्राचीन एवं आध्ुनिक चिकित्सा ज्ञान-विज्ञान पर वैज्ञानिकों ने स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के मार्गदर्शन में गहन विचार मन्थन किया। स्वागत-गीत वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ ज्ञान प्रवाह की शुरुआत की गई। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने एक बडी धोषणा करते हुये कहा की जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब देश के प्रधांनमत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बहुत बडा ऐतिहासिक कार्य किया है पं्रधानमत्री ने आज भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर दिया है। 1835 मे जो मैकाले पाप करके गया था उसको साफ करने का कार्य पंतजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड के माघ्यम से करने जा रहा है। अब भारत मे भारत के बच्चो का मानस भारतीयता के अनुसार तैयार किया जायेगा। इस पुण्य कार्य के लिये प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी,गृह मत्री अमित शाह के साथ ही शिक्षा मंत्री धमेन्द्र प्रधान का व राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिह रावत का अभार व्यक्त किया। इसके साथ स्वामी रामदेव ने उपस्थित वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि आयुर्वेद सबसे प्राचीन विज्ञान है। ऋषियों द्वारा प्रतिपादित इस ज्ञान की उपेक्षा करना तथा इसे कमतर आंकना अज्ञानता है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने अपने साक्ष्य-आधरित अनुसंधान को दुनिया के प्रमुख शोध् पत्रिका में प्रकाशित करवाकर इसे दूर करने का प्रयास किया है। उन्होंने आयुर्वेद को एंटी-एजिंग,रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा शुद्विकरण हेतु सर्वाधिक उपयोगी पद्वति बताया। सम्मेलन में उपस्थित चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए उन्होेंने आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिकों के प्रयास की सराहना की एवं चिकित्सकों को देवदूत की तरह बताया। उन्होंने जीवन में अविचलित रहने के लिए हमेशा अपनी संस्कृति के साथ जुडे रहने की सलाह दी। एक महत्वूपर्ण शोध् पत्रिका योगायु के प्रथम अंक का विमोचन करते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों के अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ से तैयार किये गये विश्व-भेषज संहिता के 51 खण्ड सहित कुल 80 अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के ग्रन्थों की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आचार्य बालकृष्ण को जीवन के 50 बसंत पूर्ण करने पर हार्दिक बधाई दी एवं पतंजलि में विराट स्तर पर चल रहे अनुसंधान कार्यों की सराहना की। उपस्थित प्रतिभागियों को उन्होंने आयुष मंत्रालय एवं पतंजलि योगपीठ द्वारा यहाँ एक सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी। एक शोध् निष्कर्ष की जानकारी देते हुए बताया कि भारत में कोरोना काल के दौरान 89 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने अपनी स्वास्थ्य रक्षा के लिए आयुष की विभिन्न विधाओं का प्रयोग किया। एम्स भोपाल के अध्यक्ष प्रो. वाई. के. गुप्ता ने हेल्थ केयर की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पतंजलि में चल रहे अनुसंधान पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेंगे। एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो.मीनू सिंह ने बताया कि साक्ष्य-आधरित चिकित्सा के क्षेत्र में पतंजलि ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेन्शन एण्ड रिसर्च,आई.सी.एम.आर. के निदेशक प्रो. शालिनी सिंह ने कैंसर नियंत्रण हेतु समग्र उपागम की चर्चा करते हुए बताया कि कैंसर के उत्पन्न होने में नौ प्रतिशत अहितकारी भोजन का योगदान होता है। इसी श्रृख्ंाला में एम्स दिल्ली के प्रो.के.के.दीपक ने योग व ध्यान का मस्तिष्कीय तरंगों पर पड़ने वाले प्रभावों को साझा किया। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. शेखर कश्यप ने कुछ केस स्टडी के आधार पर अपने अनुभव साझा किये एवं गीता का उदाहरण देते हुए युक्त आहार-विहार लेने की सलाह दी। ड्रग डिस्कवरी डिविजन, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अनुराग वार्ष्णेय ने कोविड-19 से सम्बन्धित अनुसंधान पर विस्तार से प्रकाश डाला। हर्बल रिसर्च डिविजन के प्रमुख डॉ. वेदप्रिया ने प्रतिभागियों को बताया कि विश्व भेषज संहिता का निर्माण आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में सात सौ वैज्ञानिकों के समूह द्वारा किया गया एक बड़ा प्रयास है,जिसकी पूरी दुनिया ऋणी रहेगी। इस संहिता में 50 हजार मेडिशनल प्लान्ट का वर्णन किया गया है। पतंजलि अनुसंधान के डॉ.ऋषभदेव ने लिवर सम्बन्धित बीमारियों के निदान में पतंजलि द्वारा निर्मित दिव्य सर्वकल्प क्वाथ एवं लिवोग्रिट को बहुत उपयोगी बताया। कार्यक्रम की शोभा तब दोगुनी हो गयी जब उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री ने पहुंच कर स्वामी रामदेव व आचार्य बाल कृष्ण को भारतीय शिक्षा बोर्ड के गठन होने की शुभकामनाए दी। इस सम्मेलन में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से लगभग 50 से अधिक उच्च शिक्षण संस्थानों से हजारों प्रतिभागी जुड़े रहे। इस अवसर पर डॉ.महावीर अग्रवाल,डॉ.साध्वी देवप्रिया,डॉ.के.एन.एस.यादव,डॉ.वी.के.कटियार,स्वामी परमार्थदेव एवं डॉ.निर्विकार सहित संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं अन्य चिकित्सा संस्थानों के प्रमुख विद्वानों की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।
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