हरिद्वार। बाघंबरी पीठाधीश्वर एवं बिल्केश्वर महादेव मंदिर के व्यवस्थापक श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा है कि भगवान शिव निराकार है और जगत के स्वामी हैं। जो श्रावण मास में सृष्टि का संचालन कर जगत का कल्याण करते हैं। जो श्रद्धालु भक्त शिव महिमा को समझ लेता है। उसका कल्याण अवश्य ही निश्चित है। बिल्केश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास के अंतिम सोमवार को महादेव का भव्य श्रृंगार किया गया और आरती कर विश्व कल्याण की कामना की गई। श्रद्धालु भक्तों को शिव की महिमा का शहर समझाते हुए श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि श्रावण का महीना और प्रकृति का संबंध अपने आप में अनूठा है। श्रावण में भगवान आशुतोष का रुद्राभिषेक करने से उनकी विशेष कृपा का पात्र श्रद्धालु भक्त बनते हैं। क्योंकि श्रावण का महीना संपूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित रहता है। भगवान शिव ने श्रावण के महीने में विषपान किया था। इसलिए इस महीने उत्तम वृष्टि के योग बनते हैं और भगवान शिव की गर्मी को शांत करने के लिए श्रद्धालु भक्त शिवलिंग पर शीतल जल अर्पित करते हैं। फल, फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही, शक्कर, शहद आदि भगवान शिव को अति प्रिय है। यदि शिव की कृपा का पात्र बनना है तो इन सब सात्विक चीजों से ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए श्री महंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि भगवान आशुतोष से सृष्टि का कोई भी प्राणी अछूता नहीं है और संपूर्ण ब्रह्मांड भगवान शिव में ही समाहित है। भक्ति भाव से शिव आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बिल्केश्वर महादेव भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु भक्तों को भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। श्रावण मास में बिल्केश्वर महादेव मंदिर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। भगवान शिव अपने भक्तों को संरक्षण कर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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