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दुनिया को विकृति से प्रकृति की ओर लौटना ही होगा- स्वामी रामदेव

आत्मनिर्भर भारत का आदर्श प्रारूप है पतंजलिः आचार्य बालकृष्ण 


 हरिद्वार। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सोसाईटी फॉर कन्जर्वेशन एण्ड रिसोर्स डेवलपमेंट ऑफ मेडिशिनल प्लान्ट, नई दिल्ली तथा नाबार्ड, देहरादून के सहयोग से ‘पारम्परिक भारतीय चिकित्सा का आधुनिकीकरणःलोक स्वास्थ्य एवं औद्यौगिक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ ख्यातिलब्ध् विद्वानों, वैज्ञानिकों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। आयुर्वेद मनीषी आचार्य बालकृष्ण के 50वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हो रहे इस विराट सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन एवं वैदिक मन्त्रोच्चारण से हुआ। अपने सम्बोधन में प्रतिकुलपति डॉ0महावीर अग्रवाल ने कहा कि यह ऐतिहासिक सम्मेलन सभी के ज्ञानकोष में वृद्वि करेगा एवं अविस्मरणीय रहेगा। इस अवसर पर सोसाईटी फॉर कन्जर्वेशन एण्ड रिसोर्स डेवलपमेंट ऑफ मेडिशिनल प्लान्ट के अध्यक्ष डॉ.ए.के.भटनागर एवं सचिव प्रो.जी.बी.राव द्वारा स्वामी रामदेव को ‘महर्षि सुश्रुत सम्मान’ एवं आचार्य बालकृष्ण को ‘महर्षि वाग्भट्ट सम्मान’ से अलंकृत किया गया। सम्मेलन में शोधसार एवं मेडिशनल प्लान्ट जर्नल के विशेषांक का विमोचन भी हुआ जो आचार्य बालकृष्ण द्वारा आयुर्वेद अनुसंधान में विश्व को दिये गये उनके योगदान हेतु समर्पित रहा। सम्मेलन के प्रथम सत्र में अतिथियों एवं प्रतिभागियों को पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलगुरु स्वामी रामदेव का पावन आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि पतंजलि वैभवशाली भारत के साथ-साथ स्वस्थ, सुखी व समृद्व विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्व है। उच्चस्तरीय एवं साक्ष्य आधारित अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पतंजलि का अवदान है जिसका मार्गदर्शन ऋषि परम्परा के प्रतिनिध् िआचार्य बालकृष्ण स्वयं करते हैं। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि अब तक आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में पाँच लाख से अधिक श्लोकों की रचना एवं एक लाख से अधिक पृष्ठ वाले विश्व भेषज संहिता का निर्माण किया गया। इस अवसर पर पतंजलिवि.वि. के कुलपति एवं अनुंसधान संस्थान के अध्यक्ष आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण ने अपने सम्बोधन में बताया कि पतंजलि के विभिन्न आयामों व स्वरूप को पूरा विश्व अनुभव करता है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे कर्मों की सतत प्रशंसा होनी चाहिए तथा कमियों को ठीक करने के लिए अनवरत मंथन करना चाहिए। आचार्यश्री ने किसानों को पतंजलि द्वारा जैविक कृषि प्रशिक्षण देने हेतु भारत सरकार के प्रयास की सराहना की तथा कहा कि अबतक प्रशिक्षित हो चुके 40 हजार किसानों में से 80 प्रतिशत किसानों ने जैविक  कृषि पर निर्भर होकर अपनी आय में वृद्वि की है। आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं पी.आर.आई. की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.वेदप्रिया आर्या ने बताया कि इस सम्मेलन में ऑनलाईन एवं ऑफलाईन दोनों माध्यम से लगभग 21 देशों के हजारों प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि अनुसंधान संस्थान सहित भारत के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने मौखिक व पोस्टर के माध्यम से अपने अनुसंधान को भी प्रस्तुत किया। प्रथम दिवस के सम्मेलन अध्यक्ष एवं नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चन्द ने कृषि के क्षेत्र में सुधार व विकास के लिए नवीन तकनीकी पर चर्चा की एवं पतंजलि के योगदान की सराहना की। डॉ.ए.के. भटनागर ने उपस्थित प्रतिभागियों से चर्चा के क्रम में बताया कि पतंजलि ने स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा आदि के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं वे सभी अनुसंधान आधरित रहे हैं। डॉ. वेदप्रिया आर्या ने कृषि विकास तथा ई-आत्मनिर्भर पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर नाबार्ड के प्रो. भास्कर पंत, कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा, प्रो.के.आर. ध्ीमान, प्रो.ओ.पी. अग्रवाल, डॉ.आर. के श्रीवास्तव, डॉ.पी. के.जोशी एवं डॉ.अजीत सिंह नैन ने भी अपने महत्वपूर्ण व शोधपरक अनुभव प्रतिभागियों से साझा किये। इस सम्मेलन में डॉ.के.एन.एस.यादव,डॉ.वी.के.कटियार,स्वामी परमार्थदेव,डॉ. अनुराग वार्ष्णेय एवं डॉ.अनुपम श्रीवास्तव सहित संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व विद्वानों की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।


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