हरिद्वार। लोक कल्याण के लिए नीलघारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज का विशेष शिव अनुष्ठान निरंतर जारी है। अनुष्ठान के दौरान सावन के तीसरे सोमवार पर विभिन्न प्रकार के पुष्पों से शिवलिंग का श्रंगार कर पंचामृत से अभिषेक व विशेष आरती का आयोजन किया गया। अनुष्ठान में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रावण मास भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है। श्रावण में महादेव शिव की आराधना, पूजन का विशेष महत्व है। श्रावण में शिव आराधना करने वाले भक्तों को विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जो श्रद्धालु भक्त मन, वचन, कर्म से स्वयं को भगवान शिव को समर्पित कर सच्चे श्रद्धाभाव व पूर्ण विधि विधान से अभिषेक व पूजन करते हैं। उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव बेहद भोले हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। अत्यन्त दयालु व कृपालु भगवान शिव भक्तों में किसी प्रकार का भेद नहीं रखते और सभी पर समान रूप से कृपा बरसाते हैं। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी,स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, आचार्य पवनदत्त मिश्र,पंडित प्रमोद पांडे,स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी,महंत लालबाबा,बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी,स्वामी अनुरागी महाराज, आचार्य प्रमोद, पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
Comments
Post a Comment