हरिद्वार। हजरत इमाम हुसैन की याद में उपनगरी ज्वालापुर के विभिन्न मौहल्लों में ताजिए निकाले गए। अकीदतमंदों ने ताजियों पर मजलिस एवं दरूद फातिहा की। कर्बला के युद्ध को याद करते हुए अखाड़ा खेला गया। दिन भर विभिन्न मौहल्लों के युवकों ने लाठी,डंडे, तलवारबाजी,गतका,चक्र घुमाना आदि के खेल दिखाए। मैदानियान,घोसियान,अहबाब नगर, कोटरवान, बकरा मार्केट,तेलियान, कैतवाड़ा, मंडी का कुंआ, मंसूरियों की बैठक, पीरजीयों वाली गली आदि में भव्य ताजिए निकाले गए। इमाम हुसैन की याद में घर-घर में कुरान की तिलावत,फातिहा का दौर भी जारी रहा। लोगों द्वारा लंगर तकसीम किए गए। उपनगरी ज्वालापुर में मौहर्रम के अवसर पर प्रतिवर्ष भव्य रूप से ताजिए निकाले जाते हैं। ताजियों को जुलूस के रूप में कर्बला में सुपुर्दे खाक किया जाता है। जुलूस के दौरान युवा वर्ग द्वारा युद्धकला का प्रदर्शन भी किया जाता है। हाजी इरफान अंसारी,हाजी नईम कुरैशी शहाबुद्दीन अंसारी, अनीस पीरजी,छम्मन पीरजी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने इंसाफ और इंसानियत के लिए पूरे परिवार को कुर्बान कर दिया। 72 जानिसारों ने कर्बला की जंग में शहादत दी। उन्होंने कहा कि सभी को इंसाफ और इंसानियत की राह पर रहना चाहिए और इमाम हुसैन के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। यजीद तानाशाही पर आमादा था। लेकिन इमाम हुसैन ने सच्चाई का दामन नहीं छोड़ा।
हरिद्वार। हजरत इमाम हुसैन की याद में उपनगरी ज्वालापुर के विभिन्न मौहल्लों में ताजिए निकाले गए। अकीदतमंदों ने ताजियों पर मजलिस एवं दरूद फातिहा की। कर्बला के युद्ध को याद करते हुए अखाड़ा खेला गया। दिन भर विभिन्न मौहल्लों के युवकों ने लाठी,डंडे, तलवारबाजी,गतका,चक्र घुमाना आदि के खेल दिखाए। मैदानियान,घोसियान,अहबाब नगर, कोटरवान, बकरा मार्केट,तेलियान, कैतवाड़ा, मंडी का कुंआ, मंसूरियों की बैठक, पीरजीयों वाली गली आदि में भव्य ताजिए निकाले गए। इमाम हुसैन की याद में घर-घर में कुरान की तिलावत,फातिहा का दौर भी जारी रहा। लोगों द्वारा लंगर तकसीम किए गए। उपनगरी ज्वालापुर में मौहर्रम के अवसर पर प्रतिवर्ष भव्य रूप से ताजिए निकाले जाते हैं। ताजियों को जुलूस के रूप में कर्बला में सुपुर्दे खाक किया जाता है। जुलूस के दौरान युवा वर्ग द्वारा युद्धकला का प्रदर्शन भी किया जाता है। हाजी इरफान अंसारी,हाजी नईम कुरैशी शहाबुद्दीन अंसारी, अनीस पीरजी,छम्मन पीरजी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने इंसाफ और इंसानियत के लिए पूरे परिवार को कुर्बान कर दिया। 72 जानिसारों ने कर्बला की जंग में शहादत दी। उन्होंने कहा कि सभी को इंसाफ और इंसानियत की राह पर रहना चाहिए और इमाम हुसैन के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। यजीद तानाशाही पर आमादा था। लेकिन इमाम हुसैन ने सच्चाई का दामन नहीं छोड़ा।
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