हरिद्वार। श्रावण कावंड़ मेला का भले ही समापन हो गया हो,लेकिन श्रावण के जारी रहने के साथ ही शिवभक्तों का शिवालयों मे जलाभिषेक करने का सिलसिला जारी है। इस बार भोले के भक्त कावड़ियों का धर्म नगरी हरिद्वार में मानो ऐसा मन लग गया है कि उन्होंने धर्म नगरी को शिव भक्त नगरी में तब्दील किया हुआ है अभी भी धर्मनगरी हरिद्वार में कई जगहों पर कावड़िए दिखाई पड़ रहे हैं पहले ऐसा नहीं हुआ करता था इसी बीच एक अलग ही कावड हरिद्वार से केदारनाथ कावड ले जा रहे महाराष्ट्र के नितेश काम्बले द्वारा दिखी जिसे देख हर कोई हैरान हो रहा है। आज नितेश कांबले ने कीलो से बनी खड़ाऊ पहनकर कावड़ यात्रा कर रहे हैं, जिसे उन्होंने 8 महीने के करीब से पहना हुआ है। इस कावड़ यात्रा नीतीश कांबले बताते हैं की भोले को खुश करना ही एकमात्र उद्देश्य है इसीलिए वह इस कावड़ यात्रा को कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह इस कावड़ यात्रा के दौरान ना तो कुछ खाएंगे ना ही फहलाहर करेंगे। वह सिर्फ जूस और पानी के सहारे इस कावड़ यात्रा को करेंगे इसी तप को ओर कठिन करने के लिए किलो से बनी खड़ाऊ को भी पहना हुआ है। नीतीश कांबले का कहना है कि भगवान भोलेनाथ की भक्ति करना उन्हें बचपन से ही पसंद है। इससे पहले भी वह पैदल महाकाल तक कि यात्रा कर चुके है ।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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