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शांतिकुंज परिवार ने रक्षाबंधन पर्व उत्साह पूर्वक मनाया

देश को अक्षुण्य बनाये रखने हेतु गायत्री साधक हुए संकल्पित 


 हरिद्वार। आजादी का अमृत महोत्सव के पूर्व आया यह रक्षाबंधन पर्व भाई-बहिन के स्नेह के साथ ही राष्ट्रीय भावना से ओत प्रोत होने का संदेश लेकर आया है। वहीं देश भर के गायत्री साधक भारत को अक्षुण्य बनाये रखने हेतु संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी से रक्षा सूत्र बाँध कर संकल्पित हुए। साथ ही शांतिकुंज के साधकों ने रक्षाबंधन के पावन पर्व के अवसर पर अनेक स्थानों पर पौधारोपण किया। गायत्री तीर्थ परिसर प्रातःकाल से ही श्रद्धेया शैलदीदी एवं युगगायकों द्वारा गाई गयी रक्षाबंधन एवं राष्ट्र भक्ति की गीतों से गुंज रहा था। पूज्य आचार्यश्री की सुपुत्री एवं शांतिकुंज अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैल दीदी ने देश-विदेश से आये एवं आश्रमवासी भाइयों के कलाई में बाँधी तथा बहिनों ने गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या को राखी बाँधीं। उन्होंने सभी को पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। अपने संदेश में शांतिकुंज अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैल दीदी ने कहा कि रक्षासूत्र मात्र कच्चा सूत्र होता है, लेकिन इसमें जब श्रद्धा-भावना की शक्ति का समावेश हो जाता है, तो यह सामान्य धागा नहीं रहता। वह इतना मजबूत हो जाता है, जिसे तोड़ना नामुमकिन हो जाता है। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि क्रोध के सागर को प्रेम के आँसुओं में बदलने की हैसियत कच्चे धागे की रही है। राखी ने अनगिनत शत्रुओं को मित्र बनाकर परस्पर सुख-दुःख झेलने को विवश किया। हमारे सैनिकों की सुरक्षा में जुटे होने के कारण ही हम सुरक्षित हैं। हम सबको भी उन सैनिकों की सुरक्षा के लिए प्रार्थनाएँ करनी चाहिए। इससे पूर्व शांतिकुंज में सामूहिक हेमाद्रि संकल्प सम्पन्न हुआ। दसस्नान द्वारा अन्तःकरण  पर जमे कषाय-कल्मषों को धोने तथा यज्ञोपवीत परिवर्तन से उसके नवगुणों को पुनः-पुनः धारण करने के लिए संकल्पित हुए। तो वहीं श्रावण के अंतिम दिन भी अनेक साधकों ने रुद्राभिषेक सम्पन्न किया। वैदिक कर्मकाण्ड संस्कार विभाग के उच्च प्रशिक्षित आचार्यों ने सम्पन्न कराया। शंातिकुंज की ब्रह्मवादिनी बहिनों ने २७ कुण्डीय यज्ञशाला में गायत्री महायज्ञ में विश्व कल्याण के लिए विशेष वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञ सम्पन्न कराया। सायंकाल भव्य दीपमहायज्ञ भी सम्पन्न हुआ।


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