हरिद्वार। श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन हैदराबाद स्थित उदासी मठ की करीब 540 एकड़ जमीन पर कब्जा लेगा। हरिद्वार से जल्द संत हैदराबाद के लिए रवाना होंगे। हरिद्वार कनखल स्थित बड़े अखाड़े के कोठारी महंत दामोदर दास शनिवार को प्रेस को बताया कि आंध्र प्रदेश में सदियों पहले कमलापति बाबा के द्वारा श्री उदासी मठ की स्थापना की गई थी। श्री उदासी मठ की कूकटपल्ली, हैदराबाद में करीब 540.30 एकड़ जमीन है जो तेलंगाना राज्य के बंदोबस्ती पुस्तक में पंजीकृत है। वर्तमान में मठ का प्रबंधन श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा के श्रीमहंत रघुमुनि द्वारा नियुक्त अरुण दास महाराज द्वारा किया जा रहा है। बताया कि वर्ष 1964 से 69 के दौरान तत्कालीन महंत बाबा सेवादास ने करीब 400 एकड़ भूमि को समाज के कार्यों के लिए एक कंपनी को लीज पर दी थी। 1976 में 137.19 एकड़ जमीन को 99 साल के लिए दूसरी कंपनी को दी। 2007 में महंत रघुमुनि ने जब लीज की समीक्षा की गई तो मालूम हुआ कि लीज रेंट बहुत कम था। 2007 में मार्केट लीज रेंट के हिसाब से करीब 156 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष मिलना चाहिए था लेकिन कंपनी बेहद कम किराया दे रही थी। महाराज ने बताया कि कंपनी कई पट्टों को लीज शर्तों का उल्लंघन भी कर रही थी। इस बीच मठ ने कंपनी को कानूनी नोटिस भेजकर भूमि खाली करने के लिए कहा गया। कंपनी अदालत चली गई। कोठारी महंत दामोदर दास ने दावा किया कि अदालत का फैसला मठ के पक्ष में आया है। दावा किया कि जमीन का मालिकाना हक मठ को दे दिया है।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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