हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन राजघाट कनखल मे उदासीनाचार्य जगद्गुरु भगवान श्री श्रीचंद्र की 528वी जयंती महोत्सव के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार को हवन यज्ञ और श्री मात्रा शास्त्र अखंड पाठ करके विश्व के कल्याण की कामना की गई। हवन यज्ञ और श्री मात्रा शास्त्र अखंड पाठ के उपरांत उदासीनाचार्य जगद्गुरु भगवान श्री श्रीचंद्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर संतो महंतो ने अरदास की। इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने कहा कि भगवान श्री श्रीचंद्र ने सनातन धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए समाज को धर्म के प्रति जागरूक करने का काम किया। उन्होंने कहा कि श्रीचंद्र भगवान ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाकर लोगो को मानव कल्याण की ओर अग्रसर करने का काम किया। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के सभी संत महंत भगवान श्री श्रीचंद्र की विचारधारा को समाज में फैलाकर समाज में फैली बुराईयों को दूर करने के कार्य मे लगे है। उनके आदर्शो पर चलकर संत समाज देश और लोक कल्याण के कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि संतों का जीवन समाज और लोक कल्याण के लिए होता है। हमें समय-समय पर समाज को धर्म के प्रति जगाते रहना चाहिए। शिक्षा के साथ धर्म का अनुसरण करना बहुत जरूरी है। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को अपने इष्ट देव भगवान गुरुदेव के बारे में विस्तृत जानकारी देनी चाहिए तभी हमारी परंपराएं जीवित रहेगी। इस मौके पर कारोबारी गोविंद दास, जयेंद्र मुनि, कोठारी दर्शन दास, प्रेम दास, निरंजन दास ,ब्रह्म मुनि, बलवंत दास, मुरलीदास, कैवल्यानन्द, जोगेंद्र मुनि, कैलाश मुनि, भूपेंद्र कुमार उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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