हरिद्वार। हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के मामले में यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। जितेंद्र त्यागी शुक्रवार को हरिद्वार की एक अदालत में आत्मसमर्पण करने पहुंचे। आत्मसमपर्ण के बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें अब जिला जेल में शिफ्ट किया जाएगा। आपको बता दें कि जितेंद्र नारायण त्यागी वसीम रिजवी की अंतरिम जमानत समाप्त हो गई है, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 अगस्त को दिए गए ऑर्डर के तहत उन्हें आज कोर्ट में सरेंडर करना था और इसी के तहत आज जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने संतो के साथ जिला एवं सत्र न्यायालय में सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया जहा से उनको जेल भेज दिया गया है,सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सुनवाई करते हुए रिजवी को कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए थे। क्योंकि वह सर्शत जमानत पर चल रहे थे और जिसकी समयावधि पूरी हो चुकी है। रिजवी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सरेंडर करने पहुंचे। अदालत परिसर मे जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने कहा की इससे पहले भी मुझे ज्वालापुर के लोगों ने जेल के अंदर मारने की साजिश बनाई थी लेकिन वह जेल प्रशासन के सख्त होने के कारण साजिश को अंजाम नहीं दे पाए वही धर्म वापसी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब से मैंने सनातन धर्म को अपनाया है इस लड़ाई में मैं अकेला हो गया हूं लेकिन इसका मुझे कोई अफसोस नहीं है। मैंने काफी सोच समझ के इस धर्म को अपनाया है। उन्होंने कहा कि घर वापसी करके उनको कोई मलाल नहीं है,कोई निराशा नहीं है और वह और लोगों से भी अपील करते हैं कि सब घर वापसी करें। कोर्ट में सरेंडर करने से पहले जितेंद्र नारायण त्यागी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज से मिलने अखाड़े पहुंचे जहा उन्होंने संत से आशीर्वाद लिया। ,इस दौरान उनके साथ शांभवी पीठाधीश्वर व काली सेना प्रमुख आनंद स्वरूप भी मौजूद रहे। वही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि आज जब जितेंद्र नारायण त्यागी एक बार फिर जेल रहा जा रहे हैं तो हम सब का मन दुखी है कि आखिर हिंदू धर्म में आकर वसीम रिजवी जो अब जितेंद्र नारायण त्यागी बन गए हैं उन्हें मिला क्या हम सबको जितेंद्र नारायण त्यागी का देना चाहिए था जो हम सब ने नहीं दिया।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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