हरिद्वार। हरिद्वार की बड़ी रामलीला के नाम से मशहूर श्रीरामलीला कमेटी रजि. के मंच पर बुधवार की रात कैलाश लीला, रावण अत्याचार एवं वेदवती संवाद का मंचन किया गया। लीला का शुभारंभ रावण, कुंभकरण एवं विभीषण की तपस्या से हुआ। जिसमें ब्रह्मा जी ने तीनों को इच्छित वरदान देकर दैवीय शक्ति प्रदान की। ब्रह्मा जी का वरदान पाकर रावण ने अत्याचार प्रारंभ कर दिए और कई देवताओं को बंदी बना लिया। इतना ही नहीं रावण ने कैलाश पर्वत से गुजरते हुए भगवान शंकर का भी अपमान किया तो शिवगण नंदी ने रावण का कड़ा विरोध किया। नंदी ने रावण को ऐसा आईना दिखाया कि उसे भगवान शंकर से क्षमा मांगनी पड़ी। रावण का अहंकार लगातार बढ़ता गया और भगवान विष्णु को रूप में वर प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रही ऋषि कन्या वेदवती का भी रावण ने तप भंग कर दिया। वेदवती का स्पर्श किया तो वेदवती ने रावण को अभिशाप देते हुए आत्मदाह कर लिया। रंगमंच पर दर्शाए गए तीनों दृश्यों का भावार्थ समझाते हुए मंच संचालक विनय सिंघल ने बताया कि तपोबल से वरदान तो पाया जा सकता है। लेकिन किसी भी प्रकार से शक्ति का दुरुपयोग व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। जबकि कैलाश पर्वत की अवमानना करने वाले रावण को भी क्षमा मांगने पर भगवान शिव ने शिवालय के प्रसाद के रूप में चंद्रहास रूपी जादुई तलवार देकर उपकृत किया। जितेंद्र खन्ना द्वारा भगवान शिव के गण नंदी के स्वरूप में अहंकारी रावण के साथ संवाद लीला को दर्शकों ने खूब सराहा। मनोज सहगल ने विभीषण की भूमिका निभायी। इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा,उपाध्यक्ष सुनील भसीन, मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना,संपत्ति कमेटी के मंत्री रविकांत अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल,सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी,ऋषभ मल्होत्रा,विशाल गोस्वामी,रमेश खन्ना,प्रेस प्रवक्ता संदीप कपूर, अनिल सखूजा, राहुल वशिष्ठ तथा पवन शर्मा आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।
Comments
Post a Comment