हरिद्वार। थाना सिडकुल क्षेत्रान्गर्त हुई फैक्ट्रीकर्मी की हत्या के मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने मृतक के दोस्त को गिरफ्रतार कर लिया है। पुलिस के अनुसार फैक्ट्रीकर्मी अंकित की हत्या महज पांच हजार की उधार की रकम अदा न करने पर उसी के दोस्त ने की थी। सोमवार को सिडकुल थाना कैंपस में नगर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि 13 जून को सिडकुल की एक कंपनी से ड्यूटी कर बाहर निकल रहे कर्मचारी अंकित पुत्र ओंमकार सिंह निवासी रजक पूरा थाना नौगांवा सादात जिला अमरोहा यूपी हाल निवासी रावली महदूद की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। आरोपी वारदात को अंजाम देकर फरार होने में कामयाब रहा था। मृतक के चाचा रमेश ने इस संबंध में अज्ञात आरोपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। हत्याकांड के खुलासे में जुटी पुलिस टीमों ने क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली। सीसीटीवी कैमरे एवं इलेक्ट्रोनिक्स सर्विलांस की मदद से पकड़े गए मृतक के दोस्त सुनील मिश्रा पुत्र भगवानदीन मिश्रा निवासी मोहल्ला कुम्हारन टोला कस्बा गोला गोरखनाथ थाना कोतवाली जिला लखीमपुर यूपी ने हत्याकांड को अंजाम देने की बात कबूल ली। आरोपी ने बताया कि अंकित ने कई माह पूर्व उससे पांच हजार की रकम उधार ली थी। तय हुआ था कि तनख्वाह मिलने पर वह रकम वापस कर देगा लेकिन कई माह गुजरने के बाद भी वह टालमटोल करता रहा। दबाव बनाने पर मृतक ने रकम देने से इंकार कर दिया था, इस बात से आक्रोश में आकर ड्यूटी से वापस लौट रहे अंकित के लेबर चौक के पास पहुंचते ही चाकू से ताबड़तोड़ वार कर उसकी हत्या कर दी। आरोपी की निशानदेही पर झाड़ियों में छिपाकर रखा गया चाकू, खून से सनी टीशर्ट बरामद कर ली गई है। इस दौरान प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार उनियाल भी मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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