हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि श्रीमद्भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटा कर उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्धालु भक्त भागवत रूपी रस का पान कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। भूपतवाला स्थित हरीधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गई। श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ आचार्य स्वामी बालकानंद गिरी एवं आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान तो कण-कण में विराजमान हैं। किंतु व्यक्ति को उसका बोध नहीं होता। श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाती है। कथा का श्रवण सभी को अवश्य करना चाहिए। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा साक्षात भगवान श्री कृष्ण की वाणी है। जिसको जो ग्रहण कर लेता है। उसका जीवन सार्थक हो जाता है। वास्तव में श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। जनम जनम के पुण्य उदय होने पर ही सौभाग्यशाली व्यक्ति को श्रीमद्भागवत कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है। जिसे जितना ग्रहण करो जिज्ञासा उतनी ही बढ़ती है। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में गंगा तट पर श्रीमद्भागत कथा सुनने मात्र से ही व्यक्ति का कल्याण हो जाता है। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में सभी ग्रंथों का सार निहित है और भक्त और भगवान की यह कथा मोक्षदायिनी है। हम सभी को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। साथ ही अपने बच्चों और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। ताकि भावी पीढ़ी को अपने धर्म और संस्कृति का बोध हो और उनमें उच्च संस्कार जागृत हो। कथा के यजमान हांगकांग निवासी विनोद धारीवाल, विला धारीवाल ने व्यास पीठ का पूजन व आरती कर संत महापुरूषों से आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आचार्य मनीष जोशी ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर सतपाल ब्रह्मचारी, महंत प्रहलाद दास,महंत रामानंद सरस्वती,स्वामी निरंजन महाराज,राजमाता आशा भारती,स्वामी ऋषि रामकृष्ण,अशोक गोस्वामी,दीपक शर्मा,सुरेश पुरी,महेश योगी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि श्रीमद्भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटा कर उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्धालु भक्त भागवत रूपी रस का पान कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। भूपतवाला स्थित हरीधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गई। श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ आचार्य स्वामी बालकानंद गिरी एवं आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान तो कण-कण में विराजमान हैं। किंतु व्यक्ति को उसका बोध नहीं होता। श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाती है। कथा का श्रवण सभी को अवश्य करना चाहिए। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा साक्षात भगवान श्री कृष्ण की वाणी है। जिसको जो ग्रहण कर लेता है। उसका जीवन सार्थक हो जाता है। वास्तव में श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। जनम जनम के पुण्य उदय होने पर ही सौभाग्यशाली व्यक्ति को श्रीमद्भागवत कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है। जिसे जितना ग्रहण करो जिज्ञासा उतनी ही बढ़ती है। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में गंगा तट पर श्रीमद्भागत कथा सुनने मात्र से ही व्यक्ति का कल्याण हो जाता है। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में सभी ग्रंथों का सार निहित है और भक्त और भगवान की यह कथा मोक्षदायिनी है। हम सभी को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। साथ ही अपने बच्चों और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। ताकि भावी पीढ़ी को अपने धर्म और संस्कृति का बोध हो और उनमें उच्च संस्कार जागृत हो। कथा के यजमान हांगकांग निवासी विनोद धारीवाल, विला धारीवाल ने व्यास पीठ का पूजन व आरती कर संत महापुरूषों से आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आचार्य मनीष जोशी ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर सतपाल ब्रह्मचारी, महंत प्रहलाद दास,महंत रामानंद सरस्वती,स्वामी निरंजन महाराज,राजमाता आशा भारती,स्वामी ऋषि रामकृष्ण,अशोक गोस्वामी,दीपक शर्मा,सुरेश पुरी,महेश योगी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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