हरिद्वार। भारतीय संस्कृति में महिलाओं का स्थान पूजनीय रहा है, इसलिए महिलाओं को समाज की अमूल्य धरोहर माना जाता हैं। महिलाएं परिवार का सम्मान व प्रतिष्ठा की प्रतीक हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने मैं निर्भया हूं,पुस्तक के विमोचन के अवसर पर ये बातें कहीं। रविवार को आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुसुम कंडवाल ने कहा कि महिलाओं को सदैव अपनी मर्यादा में रहकर आचरण व व्यवहार करना चाहिए। सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं का गौरवपूर्ण दायित्व बनता है। प्रत्येक महिला मां, बहन,पत्नी व पुत्री के रूप में पारिवारिक जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार महिलाओं को संवैधानिक अधिकारों के साथ कानूनी अधिकार दिलाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण विषय पर आयोजित गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अरविंद श्रीवास्तव की पुस्तक मैं निर्भया हूं, की प्रसंशा कर सभी महिलाओं से इस पुस्तक को पढ़ने की अपील की। विशिष्ट अतिथि व गंगा सभा महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने मां की कल्पना नदियों से करते हुए कहा कि जैसे नदियां हमें जल,जीवन व भोजन प्रदान करती हैं, इसी तरह मां भी मानव जीवन का आधार व पोषणकर्ता है। महिला किसी भी रूप में हो, वह सदैव सम्मान की हकदार है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका अग्रणीय है। प्रत्येक महिला परिवार की रीढ़ का कार्य करती है। कार्यक्रम में मानसी मिश्रा,नीता नय्यर,सुमन पंत,मनु शिवपुरी,संगीता,सतीश पवार,राहुल भाटिया,हर्षित भाटिया, आराध्य पोखरियाल, अखिलेश डबराल, आरती मेहता,राखी शर्मा,विमलेश गौड़,शीतल,कविता,विशी मल्होत्रा,अनिता शर्मा,प्रियंका वर्मा,पूजा सिंह,विकास तिवारी,अमरीश, प्रणव बंसल,रोहित कंवाल,सौरभ माहेश्वरी,आशु शर्मा,राजलक्ष्मी और विजयलक्ष्मी प्रधान आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
Comments
Post a Comment