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नहाय खाय के साथ लोक आस्था का छठ महापर्व की शुरूआत आज से

 ’पूर्वांचल उत्थान संस्था , छठ पूजा आयोजन समिति की तैयारियां जारी 

हरिद्वार। भगवान सूर्य देव की आराधना को समर्पित तथा लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत शुक्रवार को नहाए खाय के साथ होगी। पूर्वांचल उत्थान संस्था, छठ पूजा आयोजन समिति के तत्वावधान में शुक्रवार से चार दिनी छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। छठ पूजा आयोजन समिति, कनखल के संयोजक आचार्य उद्धव मिश्रा ने बताया कि संस्था द्वारा  लोक आस्था के पर्व छठ महापर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। संस्था द्वारा गंगा घाटों की सफाई की जा रही है। बताया कि पहले घाटों की सफाई होगी फिर व्रत और पूजा की तैयारी होगी। आचार्य भोगेंद्र झा ने कहा कि छठ धार्मिक आस्था एवं स्वच्छता का पर्व है इसलिए साफ सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाए के दिन कद्दू की सब्जी बनायी जाती है। व्रत रखने वाले सबसे पहले इसे ग्रहण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे खाने के कई सारे फायदे हैं।डॉनिरंजन मिश्रा ने कहा कि लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी से शुरू हो जाती है। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. 29 अक्टूबर को खरना,डूबते सूर्य को 30 अक्टूबर को व उगते सूर्य को 31 अकटूबर को अर्घ्य दिया जायेगा। डॉ नारायण पंडित ने कहा कि नहाय खाय की सुबह व्रती भोर बेला में उठते हैं और गंगा स्नान आदि करने के बाद सूर्य पूजा के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं. नहाय खाय के दिन व्रती कद्दू की सब्जी और चावल तैयार करती हैं और इसे ही खाया जाता है. इसके साथ ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत को प्रारंभ करते हैं। नहाय खाए के साथ व्रती नियमों के साथ सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रखते हैं। पं विनय मिश्रा ने कहा कि नहाय खाए यह त्योहार का पहला दिन है,जिस दिन व्रती महिला गंगा नदी में वे गंगा का पानी घर लाते हैं और इस पानी से वे प्रसाद पकाते है। उन्होंने कहा कि नहाय खाय के दिन व्रती कद्दू, लौकी और मूंग-चना का दाल बनाती है। जिसे सबसे पहले व्रती खाती हैं. फिर घर के सदस्यों को अन्य लोगों के बीच प्रसाद के रूप में इसे बांटा जाता है और ग्रहण किया जाता है। इस दिन भक्त घर और आसपास के परिसर की सफाई करते हैं. इस दिन व्रती केवल एक बार भोजन करते हैं। आचार्य सुमन झा ने कहा कि नहाय खाए के दिन कद्दू खाने का विशेष महत्व है। नहाए खाए के साथ छठ की शुरुआत होती है. पहले दिन गंगा स्नान करने के बाद कद्दू भात और साग खाया जाता है। नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता। नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोती है. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं। घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है। इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है. इसलिए छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सूर्य की पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं। छठ पूजा के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पूर्वांचल उत्थान संस्था, छठ पूजा समिति के आचार्य उद्धव मिश्रा, वरिष्ठ समाजसेवी रंजीता झा,सीए आशुतोष पांडेय,बीएन राय,विभाष मिश्रा,संतोष झा,संतोष कुमार,डॉनिरंजन मिश्रा,प्राचार्य सुमन झा,आचार्य सागर झा,आचार्य भोगेंद्र झा,काली प्रसाद साह,विष्णु देव ठेकेदार,विनोद साह,रामसागर जायसवाल, रामसागर यादव,डॉ नारायण पंडित ,पंविनय मिश्रा,कामेश्वर यादव,देवेन्द्र झा,शंकर झा,रणजीत झा,भगवान झा,दिलीप कुमार झा, अबधेश झा,कुमोद झा,मनोज मिश्र,अभय मिश्रा,आनंद झा,मिथलेश चौधरी,हरिशंकर चौधरी  ,हिमांशु झा,गौतम झा,दीपक कुमार झा,अनिल झा,नरेश झा,रघु चौधरी सहित सैकड़ों श्रद्वालुओं ने व्यवस्था बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।


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