हरिद्वार। श्रीरामलीला कमेटी ने रावण दरबार एवं सीता हरण की मुख्य लीला का मंचन कर स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिए पारिवारिक मान्यताओं का अनुसरण करने की प्रेरणा दी। रामलीला देखने आए रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने समस्त आयोजकों तथा रंगमंच के मानकों का निर्धारण करने वाले स्वर्गीय राममूर्ति वीर सहित सभी प्रमुख संस्थापकों को नमन किया तथा गरीबदासीय आश्रम के महंत स्वामी रविदेव शास्त्री ने रामलीला के दर्शन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए रामलीला देखने का महत्व वताया। दोनों अतिथियों को रंगमंच से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। देश के अन्य प्रांतों से आए रामभक्तों ने रामलीला के सफल मंचन के लिए सभी आयोजकों को साधुवाद दिया। लीला का शुभारंभ रावण दरबार की नवीनतम त्रेताकालीन राजदरबारी प्रस्तुति से हुआ। जिसमें सूर्पनखा ने अपनी कटी नाक भाई रावण को दिखाकर अपमान का बदला लेने की गुहार लगाई तो रावण ने मारीच को साथ लेकर सीता हरण की योजना बनाई। त्रियाहठ पर आधारित लीला में पंचवटी के दृश्य प्रेरणादायी रहे। सीता का हिरण के प्रति सम्मोहन,राम द्वारा सीता के अनुरोध को स्वीकारना,रावण का साधुवेश में भिक्षा मांगना और सीता ने जब लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर दिया तो न केवल राम-लक्ष्मण की चिंता बढ़ गयी। बल्कि लंका के सर्वनाश की पटकथा लिख गई। किसी भी महिला द्वारा पारिवारिक मान्यताओं का उल्लंघन ही विनाश का कारण बनता है। सीता हरण पर जटायु ने रावण से युद्ध किया। लेकिन वीरगति को प्राप्त हुआ। राम लीला का दर्शन अन्याय के प्रति संघर्ष का संदेश देता है। रंगमंच को अनुशासित और प्रस्तुति को मर्यादित बनाने में जिनका विशेष योगदान है। उनमें कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा,उपाध्यक्ष सुनील भसीन,मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना,संपत्ति कमेटी के सचिव रविकांत अग्रवाल ,कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल,मंत्री एवं मंच संचालक डा.संदीप कपूर तथा विनय सिंघल, सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी,संगीत दिग्दर्शक विनोद नयन,ऋषभ मल्होत्रा,विशाल गोस्वामी, राहुल वशिष्ठ,वीरेंद्र गोस्वामी,पवन शर्मा,सुनील वधावन,दर्पण चड्ढा,विकास सेठ,रमन शर्मा तथा विपुल शर्मा।
हरिद्वार। श्रीरामलीला कमेटी ने रावण दरबार एवं सीता हरण की मुख्य लीला का मंचन कर स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिए पारिवारिक मान्यताओं का अनुसरण करने की प्रेरणा दी। रामलीला देखने आए रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने समस्त आयोजकों तथा रंगमंच के मानकों का निर्धारण करने वाले स्वर्गीय राममूर्ति वीर सहित सभी प्रमुख संस्थापकों को नमन किया तथा गरीबदासीय आश्रम के महंत स्वामी रविदेव शास्त्री ने रामलीला के दर्शन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए रामलीला देखने का महत्व वताया। दोनों अतिथियों को रंगमंच से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। देश के अन्य प्रांतों से आए रामभक्तों ने रामलीला के सफल मंचन के लिए सभी आयोजकों को साधुवाद दिया। लीला का शुभारंभ रावण दरबार की नवीनतम त्रेताकालीन राजदरबारी प्रस्तुति से हुआ। जिसमें सूर्पनखा ने अपनी कटी नाक भाई रावण को दिखाकर अपमान का बदला लेने की गुहार लगाई तो रावण ने मारीच को साथ लेकर सीता हरण की योजना बनाई। त्रियाहठ पर आधारित लीला में पंचवटी के दृश्य प्रेरणादायी रहे। सीता का हिरण के प्रति सम्मोहन,राम द्वारा सीता के अनुरोध को स्वीकारना,रावण का साधुवेश में भिक्षा मांगना और सीता ने जब लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर दिया तो न केवल राम-लक्ष्मण की चिंता बढ़ गयी। बल्कि लंका के सर्वनाश की पटकथा लिख गई। किसी भी महिला द्वारा पारिवारिक मान्यताओं का उल्लंघन ही विनाश का कारण बनता है। सीता हरण पर जटायु ने रावण से युद्ध किया। लेकिन वीरगति को प्राप्त हुआ। राम लीला का दर्शन अन्याय के प्रति संघर्ष का संदेश देता है। रंगमंच को अनुशासित और प्रस्तुति को मर्यादित बनाने में जिनका विशेष योगदान है। उनमें कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा,उपाध्यक्ष सुनील भसीन,मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना,संपत्ति कमेटी के सचिव रविकांत अग्रवाल ,कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल,मंत्री एवं मंच संचालक डा.संदीप कपूर तथा विनय सिंघल, सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी,संगीत दिग्दर्शक विनोद नयन,ऋषभ मल्होत्रा,विशाल गोस्वामी, राहुल वशिष्ठ,वीरेंद्र गोस्वामी,पवन शर्मा,सुनील वधावन,दर्पण चड्ढा,विकास सेठ,रमन शर्मा तथा विपुल शर्मा।
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