हरिद्वार। अध्यात्म एवं सद्विचारों से युक्त व्यक्ति पर नकारात्मक व्यवहार कम प्रभावी होता है। अध्यात्म की शक्ति व्यक्ति को नकारात्मक व्यवहार करने से रोकती है। गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा.शिवकुमार चौहान ने शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे संवाद कार्यक्रम के अवसर पर यह बात कही। युवाओं के लिए मनोविज्ञान के रहस्य एवं सिद्वान्त पर संवाद करते हुये डा.चौहान ने कहा कि यथाकर्म यथाश्रुतमए यथाप्रज्ञा बहुत.सी चीजें शरीर के नाश के साथ ही चली जाती हैं। लेकिन आत्मा रहती है। मनुष्य का जैसा कर्म उसका ज्ञान और जैसी उसकी प्रज्ञा होती है. वैसा ही जन्म उसे मिलता है। नए जन्म में वह अपनी साधना आगे चलाता है। इतना स्पष्ट होते हुए भी यदि मृत्यु के रहस्य को समझना हो तो उसके लिए व्यक्ति को अपनी स्वतन्त्र साधना करनी ही पड़ती है। जिसमे मनोविज्ञान के रहस्य एवं सिद्वान्त व्यक्ति के लिए मददगार होते है। उन्होने कहा कि मनोविज्ञान को जानना आज सभी लोगों के लिए आवश्यक बनता जा रहा है। जीवन की छोटी छोटी समस्यायें व्यक्ति की सोच एवं नैतिकता पर गहरा प्रभाव डालती है। जिस पर परामर्श एवं सहयोग के माध्यम से ही समाधान प्राप्त होता है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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