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पतंजलि विश्वविद्यालय में वैदिक रीति से हुआ नवप्रवेशी विद्यार्थियों का दीक्षारम्भ व उपनयन संस्कार

 


हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में दीक्षारम्भ एवं उपनयन संस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 727 छात्राओं तथा 541 छात्रों सहित विविध कक्षाओं के नव प्रवेशी 1268 विद्यार्थियों का दीक्षारम्भ व उपनयन संस्कार वैदिक रीति से संपन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव महाराज व कुलपति आचार्य बालकृष्ण महाराज ने विद्यार्थियों को यज्ञोपवित धारण कराकर आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि पहले ऐसा माना जाता था कि बहन-बेटियों व माताओं को योग करना,यज्ञ करना तथा यज्ञोपवित धारण करने का अधिकार नहीं है। इसके लिए अनेकों आंदोलन चले और महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सारे भेदभाव समाप्त किए। स्वामी रामदेव ने कहा कि यज्ञोपवित में तीन धागे-ऋग्वेद,यजुर्वेद व सामवेद तथा एक ग्रन्थि अथर्ववेद का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हम ऋषियों की संतान हैं। स्वभाव से ही हमारे जीवन में दिव्यता व देवत्व है। उन्होंने विद्यार्थियों को संकल्प दिलाया कि जीवन के अंतिम श्वास तक यज्ञोपवित धारण करना है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सनातन धर्म, वेद धर्म, ऋषि धर्म तथा अपने पूर्वजों में दृढ़ता होनी चाहिए। अपनी सांस्कृतिक विरासत तथा सनातन मूल्यों के साथ हम भारत ही नहीं पूरे विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि जीवन में सौभाग्य से भाग्य का उदय होता है। यज्ञोपवित मात्र प्रतीक नहीं है, यह हमारे सौभाग्य का पर्व है। यदि हम यज्ञोपवित को जीवन का आधार बनाते हैं तो इससे हमारे धर्म को कोई लाभ नहीं है। यह हमारा व्यक्तिगत लाभ है। उन्होंने कहा कि समाज में भ्रान्तियाँ व्याप्त हैं। किन्तु जब मातृशक्ति को यज्ञोपवित धारण किए देखता हूँ तो प्रसन्नता होती है। जिस कार्य को करने से परिवार,समाज व राष्ट्र का कल्याण होता है। उसे अवश्य करना चाहिए। महर्षि मनु तथा उनके बाद महर्षि दयानन्द ने कहा कि जन्म लेते समय कोई बड़ा-छोटा,ब्राह्मण या क्षूद्र नहीं होता। अच्छे संस्कार से ही आप द्विज कहलाते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि आप अपने पूर्वजों के अनुगामी बनें, उनके प्रतिनिधि बनें। उन्होंने कहा कि आपको समाज में व्याप्त अज्ञानता व भ्रम को मिटाकर सनातन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करना है। कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक वी.सी.पाण्डेय,उप-कुलसचिव डा.निर्विकार,योग विभागाध्यक्ष डा.संजय सिंह सहित सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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