हरिद्वार। बड़ी रामलीला में अशोक वाटिका, हनुमान-रावण संवाद और लंका दहन की लीला के माध्यम से दिखाया कि अहंकार व्यक्ति को किस प्रकार पतन और पराजय की ओर ले जाता है। रावण ने हनुमान के पिता पवन को अन्य देवताओं के साथ अपने कारागार में बंद कर रखा था। लेकिन पवन पुत्र हनुमान ने रावण की स्वर्ण सदृश लंका जलाकर उसका अभिमान चूर-चूर कर दिया। श्रीरामलीला कमेटी ने पहली बार रंगमंच के बाहर लंका के प्रतीकात्मक पुतले को अग्नि के हवाले किया। दशहरा पायता 5 अक्टूबर को रोड़ी बेलवाला मैदान में धूमधाम के साथ संपन्न होगा। भगवान श्रीराम ने सुग्रीव के शिविर से हनुमानजी को सीता की खोज करने लंका भेजा। लंका में विभीषण ने हनुमान जी का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अशोक वाटिका जाकर राम की मुद्रिका सीता को दी और सीता से चूड़ामणि लिया। हनुमानजी ने लंका में रावण को अपनी शक्ति का एहसास कराते हुए उससे सीता को वापस करने का सुझाव दिया और अनुरोध भी किया। लेकिन रावण को तो भगवान के हाथों अपनी मुक्ति का माध्यम सीता में ही दिखाई दे रहा था। रावण ने रामदूत हनुमान को दंडित करने की योजना बनाई तो हनुमान ने पूरी लंका को ही जला दिया। बड़ी रामलीला की बढ़ती लोकप्रियता से प्रभावित होकर नगर निगम में उप नेता एवं पार्षद अनिरुद्ध भाटी एवं विनीत जोली अपने अनेकों समर्थकों के साथ रामलीला का दर्शन करने पधारे। उन्होंने रंगमंच की व्यवस्थित और मर्यादित प्रस्तुति के लिए आयोजकों को साधुवाद दिया। साथ ही रामलीला में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड एवं अन्य प्रदेशों के भी सैकड़ों रामभक्त राम लीला के नियमित दर्शक बन रहे हैं। मंच संचालक विनय सिंघल ने बताया कि रामायण धारावाहिक बनाने से पूर्व रामानंद सागर ने भी इस रामलीला का दर्शन किया था। मंगलवार को कुंभकरण तथा मेघनाथ वध की लीला का मंचन किया जाएगा। रंगमंच को मौलिक एवं मर्यादित स्वरूप प्रदान करने में कमेटी अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा,उपाध्यक्ष .सुनील भसीन,मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना,संपत्ति कमेटी ट्रस्ट के मंत्री रविकांत अग्रवाल,कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी, संगीत दिग्दर्शक विनोद शर्मा नयन, मंत्री डा.संदीप कपूर, उपमंत्री कन्हैया खेवडिया, मयंक मूर्ति भट्ट, विकास सेठ,रमेश खन्ना,ऋषभ मल्होत्रा,विशाल गोस्वामी,दर्पण चड्ढा,सुनील वधावन,राहुल वशिष्ठ, पवन शर्मा, रमन शर्मा, महेश गौड,़ विपुल शर्मा तथा माधव बेदी का योगदान सराहनीय है।्ं
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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