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विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में पतंजलि के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को शामिल

 


हरिद्वार। यूएसए की विश्वविख्यात स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूरोपियन पब्लिशर्स एल्सेवियर की जारी विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में पतंजलि के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को शामिल किया गया है। इससे पूर्व भी यूएनओ की संस्था (यूएनएसडीजी) आचार्य बालकृष्ण को सम्मानित कर चुकी है।गुरुवार को रामदेव ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने विश्व के अग्रणी और ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों में स्थान प्राप्त कर बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम, योग-आयुर्वेद चिकित्सा और चिकित्सा के परिणामों को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है। आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्य करने वाली पतंजलि पहली ऐसी संस्था है। जिसके पास एनएबीएच मान्यता प्राप्त दो हॉस्पिटल के साथ एनएबीएल,डीएसआईआर,सीपीसीएससीईए और डीबीटी से मान्यता प्राप्त विश्वस्तरीय अनुसंधान प्रयोगशाला है। आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में संचालित पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अन्तर्गत अनेकों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को बड़े स्तर पर अनुसंधान करके उन्हें विभिन्न विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल्स में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। पतंजलि में लगभग 500 वैज्ञानिक निरंतर शोधकार्य में लगे रहते है। बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोनाकाल में जहां मॉडर्न मेडिसिनल सिस्टम राह तक रहा था। चारों ओर त्राहि-त्राहि थी। तब आचार्य बालकृष्ण के दिशानिर्देशन में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के कुशल वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोनिल के रूप में एक प्रामाणिक औषधि का निर्माण किया था। यही नहीं पतंजलि में विभिन्न साध्य-असाध्य रोगों पर भी अनुसंधान आधारित गुणकारी औषधियाँ तैयार की गई हैं। लिवोग्रिट, न्यूरोग्रिट गोल्ड, मैमोरिग्रिट, मधुग्रिट,बीपीग्रिट, कार्डियोग्रिट गोल्ड,श्वासारी गोल्ड, पीड़ानिल गोल्ड,ब्रोंकोम,आईग्रिट व इयरग्रिट आदि प्रमुख दवाई पतंजलि में तैयार की गई हैं। रामदेव ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने सैकड़ों ग्रन्थों,वनस्पति आधारित पुस्तकों,पाण्डुलिपी आधारित पुस्तकों की रचना कर अद्वितीय कार्य किया है। योग-आयुर्वेद में ही 80 भाषाओं में रिसर्च बेस्ड पब्लिकेशन्स हैं। वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया ऐसी ही कालजयी रचना है। जो आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणाप्रद और मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। इसके 109 भागों में से 51 भागों का प्रकाशन हो चुका है, शेष 58 भाग आने वाले कुछ वर्षों में प्रकाशित किए जाने का लक्ष्य है।


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