हरिद्वार। श्रीरामलीला कमेटी में ऐतिहासिक ज्योतिर्लिंग सेतुबंध रामेश्वरम् का दर्शन कराया, जिसकी स्थापना त्रेता युग में लंका युद्ध से पूर्व राम और रावण ने संयुक्त रूप से की थी। राम ने रावण को मुक्ति का वरदान दिया तो रावण ने राम को विजयी होने का आशीर्वाद दिया। दोनों की मनोकामनाएं पूर्ण हुई। इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने वालों की आज भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रामलीला का दूसरा बड़ा आकर्षण अंगद-रावण संवाद रहा। जिसमें रावण के स्वरूप में पिता मनोज सहगल एवं अंगद के स्वरूप में पुत्र निश्चय सहगल ने रावण के दरबार से युद्ध का ऐलान कर दिया। रावण चारों वेदों का ज्ञाता और भूमंडल का प्रकांड पंडित था। उसे भगवान के हाथों अपनी मुक्ति के अलावा कुछ भी सुनना पसंद नहीं था। उसने हनुमान, विभीषण अथवा अंगद किसी की एक न सुनी बस एक ही रट थी कि बाजी लगी जब जान की, तो कैसे दे दूं जानकी। रावण ने राम का आमंत्रण स्वीकार कर सेतुबंध रामेश्वरम् की स्थापना की। इससे पूर्व अपने अनुज विभीषण को लात मारकर लंका से निकाल दिया। जो रामादल में सम्मिलित हो गए। रामदूत अंगद ने जब रावण दरबार में अपना पैर जमा दिया तो लंका के किसी भी वीर से उनका पैर नहीं हिला। लेकिन अंगद ने रावण को अपना पैर नहीं पकड़ने दिया। युद्ध भूमि में मेघनाथ ने लक्ष्मण को शक्तिबाण से मूर्छित कर दिया तो हनुमान जी ने लंका से सुषेन वैद्य को और हिमालय पर्वत से संजीवनी वूटी लाकर लक्ष्मण की मूर्छा तुडवायी। हिमालय की जड़ी बूटियां आज भी प्राण रक्षक औषधि के रूप में काम कर रही हैं। 5 अक्टूबर बुधवार को रोड़ी बेलवाला मैदान में रावण-मेघनाथ के विशालकाय पुतलों का दहन कर विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। त्रेताकालीन युद्ध पद्धति से होने जा रहा रोड़ी बेलवाला का रावण-राम युद्ध आकर्षण का केंद्र रहेगा और शिवाकाशी की आतिशबाजी तथा युद्ध कौशल की प्रबंध व्यवस्था देखने के लिए बड़ी संख्या में राम भक्तों के आने की उम्मीद है। बड़ी रामलीला द्वारा बनाए गए रावण,मेघनाथ के पुतले अन्य रामलीलाओं में सबसे विशालकाय हैं। भारी भीड़ की आशंका के मद्देनजर दशहरा मेला की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जिन का योगदान है वे हैं श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा,उपाध्यक्ष सुनील भसीन,मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना,संपत्ति कमेटी ट्रस्ट के मंत्री रविकांत अग्रवाल,कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल,मंच संचालक विनय सिंघल,मंत्री संदीप कपूर, सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी,उपमंत्री कन्हैया खेवडिया,संगीत दिग्दर्शक विनोद नयन,ऋषभ मल्होत्रा,विशाल गोस्वामी,दर्पण चड्ढा,पवन शर्मा,राहुल वशिष्ठ,मनोज बेदी,विकास सेठ,सुनील बधावन,महेश गौड़,मयंक मूर्ति भट्ट,माधव बेदी,रमेश खन्ना,अनिल सखूजा,गोपाल छिब्बर,रमन शर्मा,वीरेंद्र गोस्वामी तथा विशाल मूर्ति भट्ट की मेहनत रंग ला रही है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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