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उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ संपन्न हुआ छठ पर्व


 हरिद्वार। नहाय खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ चौथे दिन उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। गंगा घाटों पर पंडितों की ओर से सूर्य मंत्र के साथ छठ पूजा का समापन कराया गया। हरिद्वार में अलग-अलग घाटों पर पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को श्रद्धालुओं ने अर्घ्य दिया। इस दौरान छठ घाटों पर आतिशबाजियां कर खुशियां जाहिर की गई। कुछ महिलाएं मन्नत मांगने दंडवत होकर घाटों तक पहुंचीं। छठ पूजा के दौरान हजारों की संख्या में छठ घाटों पर व्रती ने जल में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। महापर्व के दौरान विभिन्न तरह के पकवान एवं फल फूल को डाला में सजाकर छठ घाट किनारे रख पूजा अर्चना की। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी सभी छठ घाटों को सजाया गया था। छठ गीतों से घाट गुंजायमान रहे। हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, ऋषिकुल, गोविंद घाट, विष्णु घाट, सप्तऋषि, प्रेमनगर, ठोकर नंबर एक घाट, पुल जटवाड़ा समेत अन्य गंगा घाटों में महिलाएं पूजा को पहुंचीं थीं। लोग अपने-अपने घरों से सिर पर टोकरी लेकर महिला और पुरुषों ने घाटों पर पहुंचकर जल में खड़े होकर छठ मैया की आराधना करते हुए उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। सूर्योदय से पूर्व ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगना प्रारंभ हो गया था। व्रतियों ने गंगाजल में खड़े होकर भगवान सूर्य के उदय होने का इंतजार किया और जैसे ही सूर्य नारायण के दर्शन हुए उन्हें अर्घ्य प्रदान कर परिवार सुख समृद्धि और आरोग्यता की कामना की। वही कनखल के राधा रास बिहारी घाट पर पूर्वांचल उत्थान संस्था की ओर से भव्य तरीके से छठ पर्व मनाया गया। वेद मंत्रों के साथ आचार्य उद्धव, डा.निरंजन मिश्रा, आचार्य भोगेंद्र झा, पं.विनय मिश्रा, पं.धनंजय झा, पं.अभय मिश्रा ने अर्ध्य प्रदान कराया। डा.निरंजन मिश्रा ने बताया कि स्कंद पुराण में छठ पर्व का उल्लेख मिलता है। गंगा पुत्र भीष्म को महर्षि पुलस्त्य ने छठ पर्व का महत्व बताया। आरोग्यता और पुत्र प्राप्ति की कामना से छठ पर्व किया जाता है। उन्होंने कहा मंशा देवी की बहन छठी देवी के नाम पर छठ पर्व मनाया जाता है। आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि बिहार और पूर्वांचल से निकलकर पूरे विश्व में छठ पर्व मनाया जाने लगा है। छठ पर्व के महत्व को सारी दुनियां जान गई है। आचार्य भोगेंद्र झा ने कहा  वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी छठ पर्व महत्वपूर्ण है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। पं.विनय मिश्रा ने बताया कि छठ पर्व घर से बाहर नदी के तट पर मनाया जाता है। छठ सामाजिक समरसता का पर्व है। जात पात, ऊंच नीच के भेदभाव को भुलाकर लोग एकसाथ मिलकर पर्व मनाते हैं। जटवाड़ा पुल पर पूर्वांचल छठ पूजा समिति के मुख्य आयोजक राम प्रकाश सिंह रामा लॉजिस्टिक्स की ओर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। पूर्वांचल महासभा समिति की ओर से बहादराबाद गंगनहर घाट पर सांस्कृतिक आयोजनों के साथ छठ पर्व मनाया गया। पूर्वांचल जन जागृति समिति की ओर से हरकी पैड़ी पर श्रद्धा और उल्लास के साथ पर्व मनाया। नवोदय नगर में छठ पार्क में भी लोगों ने छठ पर्व मनाया। सप्तऋषि घाट पर पूर्वांचल उत्थान संस्था के सदस्य धर्मेंद्र शाह के नेतृत्व में पारंपरिक और भव्य तरीके  छठ पर्व मनाया गया। इसी प्रकार पूर्वांचल उत्थान संस्था व अन्य संस्थाओं के द्वारा बैरागी कैंप, परशुराम घाट, गोंविदपुरी घाट, विश्वकर्मा घाट, सहित अन्य सभी घाटों पर छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया। हरिद्वार सांसद डा.रमेश पोखरियाल निशंक व जिलाधिकारी हरिद्वार ने अगले वर्ष बहादराबाद में छठ घाट निर्माण का आश्वासन दिया। इस दौरान आशुतोष पांडेय, प्रशांत राय, काली प्रसाद साह, विष्णु देव ठेकेदार, विनोद साह,रामसागर जायसवाल, रामसागर यादव, वीके त्रिपाठी, ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, वरूण शुक्ला, रूपलाल यादव, देवेन्द्र झा,शंकर झा,रणजीत झा, मनोज मिश्र, भगवान झा, शुभम झा,अमन झा,नमन झा, शशिभूषण झा,अबधेश झा,शशिभूषण झा, दिलीप कुमार झा,सुमित झा,अमित झा,राहुल झा,फूल झा, सागर झा,मिथलेश झा,अविरल, अनुज, अभिनव, युवी, अक्षत सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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