हरिद्वार। श्रीराम निकेतन आश्रम भूपतवाला में स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री महाराज की अध्यक्षता एवं महंत स्वामी रामानंद महाराज के संयोजन में गो दान कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें पौड़ी बस दुर्घटना एवं रुद्रप्रयाग एवलॉन्च के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रवि देव शास्त्री महाराज ने कहा कि गौ दान करना महान कार्य है। ऐसा करने से व्यक्ति को धरती के समस्त पुण्य की प्राप्ति होती है। क्योंकि गौमाता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है और गौ सेवा से ईश्वर भी प्रसन्न होते है।ं इसीलिए सभी को गौ माता की सेवा करते हुए उनके संरक्षण संवर्धन के लिए कदम उठाने चाहिए। श्री राम निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री महाराज ने कहा कि गोदान कन्यादान और रक्तदान तीनों सबसे महान कार्य है। ऐसा करने वाले व्यक्ति भगवान की कृपा का पात्र बनते हैं। देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा और पतित पावनी मां गंगा के तट पर गौ माता की सेवा करने का पुण्य सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। श्यामलाल गुप्ता एवं विमला गुप्ता आशीर्वाद के पात्र हैं जो अपने पूर्वज स्वर्गीय मुंशीराम गुप्ता एवं देवकी गुप्ता की स्मृति में गौदान जैसा पुनीत कार्य कर रहे हैं। संत समाज अनादि काल से गौ गंगा संरक्षण के लिए कार्य करते हुए युवा पीढ़ी को भी इसके लिए प्रेरित करता चला आया है। हम सभी को गौ माता की सेवा अवश्य करनी चाहिए। महंत स्वामी रामानंद महाराज सोनीपत हरियाणा वालों ने मृतक आत्माओं की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा कि संत समाज उत्तराखंड हादसों में मारे गए सभी लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उन्हें इस दुख की घड़ी में सहन शक्ति प्रदान करें। गौ सेवा और गंगा संरक्षण ऐसे कार्य है जो व्यक्ति को महान बनाते हैं। गौ माता हमें अनन्य पदार्थ प्रदान कर बल बुद्धि प्रदान करती हैं। गौ माता की सेवा करने वाले से हमेशा सभी देवी देवता प्रसन्न रहते हैं और उसे मनवांछित फल प्रदान करते हैं। इस अवसर पर स्वामी अनंतानंद,स्वामी सत्यव्रतानंद,स्वामी कल्याण देव,स्वामी दिनेश दास,महंत शिवानंद,स्वामी कृष्ण देव,श्यामलाल गुप्ता,विमला गुप्ता,पंकज गुप्ता,नितिन गुप्ता सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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