हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि में दस दिवसीय स्किल डवलपमेंट कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि विवि के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि जीवन में सीखने की कोई उम्र नहीं होती है, अपनी इच्छाशक्ति के चलते व्यक्ति उम्र के किसी भी पडाव में अपने से छोटे व बड़े और अनुभवी व्यक्ति से कुछ भी सीख सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर विशेष प्रतिभा का वास होता है। परंतु उचित अवसर व मंच उपलब्ध नहीं होने के चलते वह समाज के समाने नही आ पाती है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि कर्मचारियो के कौशल में वृद्धि के लिए आयोजित किये जा रहे इस कार्यक्रम में विभिन्न विषय विशेषज्ञ कर्मचारियों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे। जिससे निश्चय ही कर्मचारियों को बहुत कुछ ओर नया सीखने को मिलेगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार ने वैदिक शिक्षा प्रणाली व आर्य समाज द्वारा समाज के विकास में किये गये योगदान व समाज में आर्य समाज की भूमिका पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के संयोजक राजेश कुमार पांडेय ने विचार रखे। इस अवसर पर प्रकाश चन्द तिवारी,प्रमोद कुमार,हेमन्त सिंह नेगी, बृजेन्द्र सिंह, कमल सिंह,कुलभूषण शर्मा,अजय कुमार, बृजेन्द्र राठी,अमित कुमार धीमान,रीता सहरावत, पारूल सिंह,शांता,मदन मोहन सिंह,रमाशंकर,रमेश चन्द,उमाशंकर,संजील कुमार,सुनीत राजपूत, कृष्ण कुमार,मनोज कुमार, उमेश आदि उपस्थित रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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