हरिद्वार। कोतवाली ज्वालापुर क्षेत्र की विवादित 56 बीघा जमीन को कानपुर से आयी आयकर विभाग की टीम ने कुर्क कर लिया है। भूमाफिया यशपाल तोमर के खिलाफ हरिद्वार पुलिस की ओर से गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद आयकर विभाग की टीम ने कानपुर से यहा पहुचकर कुर्क करने की कार्रवाई की है। आयकर विभाग की टीम ने जमीन को बेनामी घोषित करते हुए खरीद-फरोख्त तथा किसी भी स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। कानपुर से गुरुवार को आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई की एक टीम ने विवादित जमीन पर पहुंचकर मुनादी कराते हुए नोटिस लगा दिया। इस मामले में भूमाफिया यशपाल तोमर सहित जमीन से जुड़े अन्य प्रॉपर्टी डैड भी जांच के दायरे में आएंगे। ज्ञात रहे कि ज्वालापुर में जुर्स कंट्री के पीछे स्थित विवादित 56 बीघा जमीन के मामले में दिल्ली के एक प्रॉपर्टी डीलर ने कोतवाली ज्वालापुर में भूमाफिया यशपाल तोमर तथा अपने भाई सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। उत्तराखंड की एसटीएफ की टीम ने मामले की छानबीन करते हुए यशपाल तोमर को नोएडा से गिरफ्तार किया था। इसके बाद तत्कालीन कोतवाली ज्वालापुर प्रभारी की ओर से यशपाल तोमर के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया। जिलाधिकारी के आदेश पर यशपाल तोमर की लगभग 150 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी। यशपाल तोमर फिलहाल हरिद्वार जेल में बंद है, विभाग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए 56 बीघा जमीन को बेनामी संपत्ति घोषित करते हुए कुर्क कर लिया है। कानपुर से विभाग आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई के डिप्टी कमिश्नर विक्रम मुनि के नेतृत्व में एक टीम ने हरिद्वार पहुंचकर इस संबंध में मुनादी कराई। ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी के अनुसार आयकर विभाग की टीम आई थी,सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर स्थानीय पुलिस उनके साथ मौजूद रही।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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