हरिद्वार। नगर निगम क्षेत्र के गंगा घाटों की सफाई व्यवस्था सौदर्यकरण सहित अन्य देखरेख का कार्य अब सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं करेंगी। मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन ने इस संबंध में सामाजिक संस्थाओं एवं धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संस्थाओं को घाटों की जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया। शुक्रवार को आयोजित बैठक में नगर की कई सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बैठक में बताया गया कि नगर निगम क्षेत्र में आने वाले घाटों की देखरेख एवं व्यवस्थाओं के लिए नगर निगम को काफी संख्या में सफाई कर्मचारी की तैनाती करनी पड़ती है जिससे निगम को बहुत बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है। नगर निगम पर आर्थिक भार को देखते हुए जिला प्रशासन और नगर निगम ने इसको लेकर नई योजना तैयार कर ली है। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद हाल में ही नगर आयुक्त ने घाटों को देने के इच्छुक सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से संपर्क कर आवेदन लेने की बात कही थी। जिसके बाद काफी संख्या में सामाजिक संस्थाओं के आवेदन आए थे। शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन ने सामाजिक और धार्मिक संस्था के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर घाटों की देखरेख के लिए आए आवेदनों पर चर्चा की। बैठक में काफी समय तक चली चर्चा के बाद घाटों को गोद लेने वाले सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के आवेदनों पर अंतिम मुहर लगाई गई। नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती के अनुसार गंगा घाटों की देखरेख सौदर्यकरण, सफाई व्यवस्था आदि को चाक-चौबंद रखने के लिए जिन संस्थाओं ने आवेदन किए हैं, उनके साथ लिखित अनुबंध तैयार कर उनको घाट सौंपने की जिम्मेदारी दी जाएगी। बैठक में में अपर जिलाधिकारी वीर सिंह बुद्वियाल,हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण सचिव उत्तम सिंह चौहान सहित कई सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारी मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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