हरिद्वार। ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणदास, ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि एवं ब्रह्मलीन माता केसर देवी की पुण्यतिथी पर श्रवणनाथ नगर स्थित श्रीराम निवास आश्रम में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रमों के दूसरे दिन आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सभी 13 अखाड़ों के संत महापुरूषों ने तीनों ब्रह्मलीन संतों का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्रद्धांजलि सभा को संबोधत करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले संत महापुरूष भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणदास, ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि एवं ब्रह्मलीन माता केसर देवी का आदर्श पूर्ण जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी है। माता रामबाई दिव्य आत्मा थी। स्वामी हरिहरानंद महाराज एवं स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि पूरा जीवन परमार्थ को समर्पित करने वाले ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणदास, ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि एवं ब्रह्मलीन माता केसर देवी से प्राप्त ज्ञान का अनुसरण करते हुए महंत दिनेश दास मानव कल्याण में योगदान कर रहे हैं। श्रीराम निवास आश्रम के महंत दिनेश दास महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूओं से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का पालन करते हुए समाज का मार्गदर्शन करना ही उनके जीवन का लक्ष्य है। विष्णु धाम आश्रम के परमाध्यक्ष महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मण दास, ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि एवं ब्रह्मलीन माता केसरी देवी का अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति तीनों ब्रह्मलीन संतों ने राष्ट्र निर्माण में भी अहम योगदान दिया। इस अवसर पर बाबा बलराम दास हठयोगी,महंत दुर्गादास,महंत निर्मल दास,स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत दामोदर दास,स्वामी हरिहरानंद,महंत गोविंद दास,महंत जसविन्दर सिंह,सतपाल ब्रह्मचारी,महंत प्रेमदास ,स्वामी कृष्णानन्द,स्वामी ऋषिश्वरानन्द,स्वामी शिवानन्द,समाजसेवी डा.संजय वर्मा ,श्यामलाल ,सुन्दरलाल,मांगेराम गोयल,जयकिशन, राजकुमार,दिनेश मेहता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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