हरिद्वार। तीर्थ नगरी में रहने वाली डॉ. प्रिया आहूजा का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज हुआ है। उनको यह सम्मान योग के अष्ट वक्रासन के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए मिला है। धर्मनगरी में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए डॉक्टर प्रिया आहूजा योग के अष्ट वक्रासन के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए 14 जून को प्रयास किया था जिसमें वह सफल भी हुई थी। उन्होंने 3. 28 मिनट तक अष्ट वक्रासन पोज पहुंचकर नया रिकॉर्ड बना लिया था जिसका 2 दिन पहले गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सर्टिफिकेट दे दिया है। इस संबंध में शुक्रवार को प्रेस क्लब सभागार में पत्रकारों से वार्ता करते हुए डॉ आहूजा ने बताया कि इससे पहले इस योग पॉज का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में 2 मिनट 6 सेकंड तक का था, जिसे उन्होंने ब्रेक किया है। उन्होंने सभी एविडेंस के साथ गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भेज दिया था जिसका रिजल्ट अब आ गया है और गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। डॉक्टर आहूजा ने कहा कि उन्होंने उसके बाद 20 जून को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अटेंड किया था जिसमें उन्होंने इसी आसन को 4.26 मिनट तक किया था। यह भी रिकॉर्ड इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। बताया कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में मेल और फीमेल या फिर कोई कैटेगरी नहीं होती है उसमें सिर्फ ट्रेनिंग रिकॉर्ड एक देखी जाती है। प्रिया आहूजा ने बताया कि वह समाज में यह संदेश देने के लिए इस रिकॉर्ड को ब्रेक करना चाहती थी कि गृहस्थ जीवन में महिलाएं कुछ भी कर सकती है। वह खुद भी दो बच्चों की मां है और इसी योग पोज को ब्रेक करने के लिए उनकी 7 साल से तैयारी चल रही थी।जो अब जाकर संभव हो पाई है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह तीर्थ नगरी हरिद्वार में फिटनेस और स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने का कार्य कराए। बताया कि यहां के प्रशासन को भी स्पोर्ट्स को विकसित करने का काम करने चाहिए और इन को बढ़ावा देना चाहिए। वार्ता के दौरान उनके साथ कई और भी मौजूद थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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