हरिद्वार। कनखल स्थित काल भैरव मंदिर में भैरव अष्टमी धूमधाम व श्रद्धाभाव के साथ मनायी गयी। इस दौरान भैरव अष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीरामचरित मानस कथा तथा धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्णाहूति की गयी। कार्यक्रम में सम्मिलित हुए नगर विधायक मदन कौशिक ने भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना की और मंदिर के परमाध्यक्ष महंत कौशलपुरी महाराज से आशीर्वाद लिया। मदन कौशिक ने कहा कि धर्म संस्कृति के उत्थान में संत महापुरूषों का अहम योगदान है। संत समाज ने हमेशा ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। महंत कौशलपुरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव के अवतार काल भैरव भय का हरण कर भक्तों को अभय प्रदान करते हैं। विधिविधान व श्रद्धापूर्वक उनकी आराधना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। काल भैरव अष्टमी के अवसर पर मंदिर में आयोजित श्रीरामचरित मानस कथा की पूर्णाहूति पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महंत कौशलपुरी महाराज ने बताया कि काल भैरव भगवान शिव का रूद्र रूप है। काल भैरव रौद्र रूप के लिए जाने जाते हैं जो नकारात्मक शक्तियों को दंड देते हैं तथा सभी प्रकार के तंत्र मंत्र प्रेत बाधाओं से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। बटुक भैरव अथवा आनंद भैरव भगवान कालभैरव का ही सौम्य रूप है। सौम्य रूप में भगवान कालभैरव अपने भक्तों को अभय प्रदान करते हैं तथा उनकी रक्षा करते हैं। महंत कौशलपुरी महाराज ने बताया कि भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें खिचड़ी,गुड़,तेल,चावल आदि का भोग लगायें। भगवान भैरव के वाहन कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। प्रसन्न होने पर भगवान काल भैरव भक्तों की सभी मनोकामनांए पूर्ण करते हैं। इस अवसर पर महंत गजेंद्र पुरी,महंत देवानन्द सरस्वती, महंत संगम पुरी,मेयर अनिता शर्मा,पवन बिहारी,रामसागर,संजय चौहान,पूर्व सभासद अशोक शर्मा,हरीश शेरी, चीनू पंडित,नवीन कौशिक,राधाकिशन गांधी,पंडित अधीर कौशिक आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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