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श्रीरामचरितमानस कविता नहीं वेदों की ऋचाएं हैं-आचार्य करुणेश मिश्र

 


हरिद्वार।‘‘श्रीरामचरितमानस की दोहे, चौपाइयाँ और सोरठे केवल एक कविता मात्र नहीं, बल्कि वेदों की ऐसी साक्षात् ऋचाएं हैं,जिन्हें समझने के लिये किन्हीं नियमों, उप-नियमों अथवा किसी व्याकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि इन्हें एक साधारण व्यक्ति भी आसानी से समझ और अंगीकार कर सकता है।‘‘श्रीरामचरितमानस पर उपरोक्त विचार कथा व्यास एवं अध्यात्म चेतना संघ के संस्थापक व संचालक आचार्य करुणेश मिश्र ने बी.एच.ई.एल.के सेक्टर-5बी स्थित शिव-हनुमान मंदिर में आयोजित सुन्दरकांड पाठ के साप्ताहिक पारायण के 22वें वार्षिक समारोह में प्रवचन करते हुए व्यक्त किये। आचार्य करुणेश ने कहा कि, वास्तव में तो रामचरितमानस को भगवान शिव ने रचा था, बाद में संत तुलसीदास ने इसको प्रकाशित किया। उन्होंने श्रीरामचरितमानस के नाम के तीन सोपानों-मानस, चरित्र और प्रभुश्रीराम की व्याख्या करते हुए कहा कि रामचरितमानस मानस को सुनकर ही मन आनन्दित हो जाता है। आचार्य करुणेश जी ने उपस्थित भक्तजनों से कम से कम पाँच-दस दोहे प्रतिदिन पढ़ने का आग्रह किया, क्योंकि यही एक ऐसा ग्रंथ है, जो मनुष्य के मन (मानस) को पवित्र करता है, चरित्र निर्मल करता है और तब ईश्वर की प्राप्ति में कोई देर नहीं लगती। उन्होंने बताया कि, इस ग्रंथ के विश्वासपूर्ण अनेक चमत्कार देखे गये हैं। इसके पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रभुप्रेमियों ने श्रीरामचरितमानस से श्रीकाक-भुशुंडी प्रसंग का सस्वर पाठ किया,हवन में आहुतियाँ डाली गयीं और अंत में आरती के बाद सभी कल प्रसाद वितरण किया गया। साप्ताहिक सुन्दरकाँड पारायण कार्यक्रम के संचालक अरुण कुमार पाठक ने जानकारी दी कि, सुन्दरकांड का यह शनिवासरीय पारायण पिछले बाईस वर्षों से निरन्तर तथा निर्बाध रूप से जारी है। उन्होंने बताया इस कार्यक्रम को जून, 2000 में भेल के सैक्टर 5 बी स्थित लोगों के निवास स्थानों पर किया जाता था। वर्ष 2012 से इसे मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इसे शुरु करने का मुख्य उद्देश्य लोगों में भक्ति भावना का प्रचार-प्रसार करना तथा आपसी मेलजोल बढ़ाना था। कार्यक्रम मंदिर के पुजारी लाखीराम गोंदियाल के साथ-साथ वार्षिक समारोह में राजेन्द्र कुमार गुप्ता,छोटे लाल,संजय कुमार बिष्ट,अरविन्द दुबे,देवेन्द्र कुमार मिश्र, कल्पना कुशवाहा, कंचन प्रभा गौतम आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।


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