हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट प्रमुख श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। सभी को समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। प्राचीन हनुमान मंदिर घाट पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। वहीं कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण के प्रभाव से जाग्रत हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है। जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों के देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत रविपुरी महाराज ने कहा कि भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसके प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है।
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट प्रमुख श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। सभी को समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। प्राचीन हनुमान मंदिर घाट पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। वहीं कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण के प्रभाव से जाग्रत हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है। जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों के देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत रविपुरी महाराज ने कहा कि भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसके प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है।
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