हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री राधा कृष्ण मंदिर राज घाट कनखल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित भगवान कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो तीनों लोकों के तीन गुणों सतगुण, रजगुण तथा तमोगुण में से सतगुण विभाग के प्रभारी हैं। भगवान विष्णु का अवतार होने के कारण से श्रीकृष्ण में जन्म से ही समस्त रिद्धि सिद्धि विद्यमान थी। श्री कृष्ण के माता पिता वसुदेव और देवकी के विवाह के समय मामा कंस जब अपनी बहन देवकी को ससुराल पहुँचाने जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई जिसमें बताया गया कि देवकी का आठवां पुत्र कंस तेरा अन्त करेगा। अर्थात् यह होना पहले से ही निश्चित था। अतः कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में रखा और देवकी के छह पुत्रों को अपने हाथों से मारने पर भी कंस देवकी के सप्तम गर्भ एवं कृष्ण को नहीं समाप्त कर पाया। मथुरा के बंदीगृह में भाद्रपद महीने में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे भगवान नारायण देवकी के गर्भ से जन्म लेते हैं। भगवान की माया से कंस एवं कंस के सभी सैनिक गहरी नींद में सो जाते हैं। कथा व्यास ने बताया कि श्री कृष्ण के जन्म लेते ही वसुदेव उन्हें नंद भवन गोकुल में छोड़ आते हैं और वहां से एक कन्या को लेकर मथुरा आ जाते हैं। कंस नींद से जागकर काराग्रह में पहुंचता है और कन्या का पैर पकड़ कर के नीचे पटकता है कन्या हाथ से छूट कर के आकाश में अष्टभुजी रूप धारण करके कहती है कि तुझे मारने वाला तेरा काल कहीं और जन्म ले चुका है और इधर गोकुल नगरी में जब ब्रजवासियों को पता चला कि नंद के यहां पुत्र का जन्म हुआ है तो सभी ब्रजवासियों ने बड़े ही धूमधाम के साथ नंदोत्सव मनाया। कथा के चतुर्थ दिवस सभी भक्तों ने बड़े धूमधाम के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया। कथा के मुख्य जजमान श्रीमती शशि प्रभा, योगेश कुमार विश्नोई, ओम एसोसिएट के अध्यक्ष अर्चित अग्रवाल,समाज सेवी प्रशांत शर्मा, कुलदीप वालिया, निखिल बेनीवाल, राघव विश्नोई द्वारा भागवत पूजन संपन्न कराया गया।
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री राधा कृष्ण मंदिर राज घाट कनखल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित भगवान कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो तीनों लोकों के तीन गुणों सतगुण, रजगुण तथा तमोगुण में से सतगुण विभाग के प्रभारी हैं। भगवान विष्णु का अवतार होने के कारण से श्रीकृष्ण में जन्म से ही समस्त रिद्धि सिद्धि विद्यमान थी। श्री कृष्ण के माता पिता वसुदेव और देवकी के विवाह के समय मामा कंस जब अपनी बहन देवकी को ससुराल पहुँचाने जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई जिसमें बताया गया कि देवकी का आठवां पुत्र कंस तेरा अन्त करेगा। अर्थात् यह होना पहले से ही निश्चित था। अतः कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में रखा और देवकी के छह पुत्रों को अपने हाथों से मारने पर भी कंस देवकी के सप्तम गर्भ एवं कृष्ण को नहीं समाप्त कर पाया। मथुरा के बंदीगृह में भाद्रपद महीने में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे भगवान नारायण देवकी के गर्भ से जन्म लेते हैं। भगवान की माया से कंस एवं कंस के सभी सैनिक गहरी नींद में सो जाते हैं। कथा व्यास ने बताया कि श्री कृष्ण के जन्म लेते ही वसुदेव उन्हें नंद भवन गोकुल में छोड़ आते हैं और वहां से एक कन्या को लेकर मथुरा आ जाते हैं। कंस नींद से जागकर काराग्रह में पहुंचता है और कन्या का पैर पकड़ कर के नीचे पटकता है कन्या हाथ से छूट कर के आकाश में अष्टभुजी रूप धारण करके कहती है कि तुझे मारने वाला तेरा काल कहीं और जन्म ले चुका है और इधर गोकुल नगरी में जब ब्रजवासियों को पता चला कि नंद के यहां पुत्र का जन्म हुआ है तो सभी ब्रजवासियों ने बड़े ही धूमधाम के साथ नंदोत्सव मनाया। कथा के चतुर्थ दिवस सभी भक्तों ने बड़े धूमधाम के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया। कथा के मुख्य जजमान श्रीमती शशि प्रभा, योगेश कुमार विश्नोई, ओम एसोसिएट के अध्यक्ष अर्चित अग्रवाल,समाज सेवी प्रशांत शर्मा, कुलदीप वालिया, निखिल बेनीवाल, राघव विश्नोई द्वारा भागवत पूजन संपन्न कराया गया।
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