हरिद्वार। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि जिससे समस्त देवता प्रकाशित होते हैं। जिसका गान नारद आदि तीनों लोकों में करते हैं और जो भवसागर से उतारने वाली है, वह श्रीमद् भागवत कथा है। जिसके श्रवण मात्र से ही व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है। भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका निरंतर अनुकरण एवं हरि स्मरण करने की आवश्यकता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का अलौकिक को आध्यात्मिक विकास होता है। इसीलिए सभी को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। कथा व्यास महंत बलराम मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति को परम आनंद की अनुभूति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर वह सांसारिक दुखों से मुक्ति पाता है। फल की दृष्टि से श्रीमद् भागवत कथा से बढ़कर और कोई ग्रंथ नहीं है। वास्तव में देवता भी श्रीमद् भागवत कथा को तरसते हैं। यह अति दुर्लभ है और सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही इसके श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। महंत बलराम मुनि महाराज ने कहा कि गंगा तट पर श्रीमद् भागवत कथा का फल और अधिक पुण्य फलदाई होता है। इसलिए हमें स्वयं और अपने परिवारों को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य कराना चाहिए। ताकि हमारे भीतर धार्मिक एवं सात्विक ऊर्जा का संचार हो और हमारे बच्चों में अच्छे संस्कारों का निर्माण हो। कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का जीतू भाई, सुनील कुमार,गोपाल दत्त पुनेठा,विष्णु दत्त पुनेठा आदि ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर जगदीश भतीजा,विनोद छाबड़ा,मोहन छाबड़ा,गिरधर छाबड़ा,सुनील छाबड़ा, नरेश भाई,प्रमोद गुप्ता,राकेश गुप्ता,मीनू,ज्योति सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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