हरिद्वार। गंगोत्री धाम से पशुपतिनाथ नेपाल के लिए निकली भव्य कलश यात्रा मंगलवार को हरिद्वार में पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी के चरण पादुका स्थल पर पहुंची। गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश महाराज के नेतृत्व में आयोजित इस कलश यात्रा का स्वागत श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत केशव पुरी, डॉ. सुनील कुमार बत्रा, डॉ. विशाल गर्ग एवं अन्य श्रद्धालुओं ने किया। एक दिन विश्राम के पश्चात कलश यात्रा बुधवार को नेपाल के पशुपति नाथ मन्दिर के लिए रवाना हो जाएगी। इस यात्रा के तहत गंगोत्री धाम से लाए गए दिव्य कलश में पवित्र जल को पशुपतिनाथ नेपाल में भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाएगा। मंगलवार को यहां चरण पादुका स्थल पर पवित्र अमृत कलश का पूजन किया गया। अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े नागरिकों ने अमृत कलश पर पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर रावल शिवप्रकाश ने बताया कि भारत और नेपाल के बीच हमेशा से ही मित्रता का संबंध रहा है। यह कलश यात्रा विश्व के कल्याण के साथ-साथ भारत और नेपाल के मध्य मैत्री संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए परंपरागत रूप से निकाली जाती है। शास्त्रों में वर्णित है कि गंगाजल को शिवालय में अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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