हरिद्वार। गंगोत्री धाम से पशुपतिनाथ नेपाल के लिए निकली भव्य कलश यात्रा मंगलवार को हरिद्वार में पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी के चरण पादुका स्थल पर पहुंची। गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश महाराज के नेतृत्व में आयोजित इस कलश यात्रा का स्वागत श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत केशव पुरी, डॉ. सुनील कुमार बत्रा, डॉ. विशाल गर्ग एवं अन्य श्रद्धालुओं ने किया। एक दिन विश्राम के पश्चात कलश यात्रा बुधवार को नेपाल के पशुपति नाथ मन्दिर के लिए रवाना हो जाएगी। इस यात्रा के तहत गंगोत्री धाम से लाए गए दिव्य कलश में पवित्र जल को पशुपतिनाथ नेपाल में भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाएगा। मंगलवार को यहां चरण पादुका स्थल पर पवित्र अमृत कलश का पूजन किया गया। अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े नागरिकों ने अमृत कलश पर पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर रावल शिवप्रकाश ने बताया कि भारत और नेपाल के बीच हमेशा से ही मित्रता का संबंध रहा है। यह कलश यात्रा विश्व के कल्याण के साथ-साथ भारत और नेपाल के मध्य मैत्री संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए परंपरागत रूप से निकाली जाती है। शास्त्रों में वर्णित है कि गंगाजल को शिवालय में अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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