हरिद्वार। पतंजलि द्वारा जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनाई जाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं। पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रिक्लिनिकल व क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा। जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया। चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया है तो वह है पतंजलि संस्थान। मीडिया के तहत जो जानकारी मिली है इससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफियाओं की संलिप्तता दिखती है। हम किसी भी तरह इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देंगे।इस षड्यंत्र में सम्मिलित आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा उत्तराखण्ड द्वारा विभागीय दायित्व को दरकिनार करके षड्यंत्रपूर्वक जिस पत्र को लिखकर नौ नवम्बर को मीडिया में प्रायोजित ढंग से प्रसारित किया, उसको अभी तक पतंजलि संस्थान को किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं कराया गया है। विभागीय स्तर पर सम्पर्क करने पर भी अभी तक कोई पत्र या सूचना उपलब्ध नहीं की गई है। मीडिया के द्वारा जिस ‘भ्रामक विज्ञापन’ की बात की जा रही है। उक्त संदर्भ में पतंजलि द्वारा लाइसेन्स अधिकारी, देहरादून, उत्तराखण्ड को पूर्व में ही दिनांक 30.सितम्बर को उत्तर दिया जा चुका है। परन्तु अब उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग से एकतर्फा कार्यवाही करने की सूचना मीडिया से प्राप्त हुई है। इस संदर्भ में या तो विभाग अपनी गलती को सुधार कर जो व्यक्ति इस षड्यंत्र में सम्मिलित है, उस पर उचित कार्यवाही करे अन्यथा पतंजलि संस्थान को इससे जो संस्थागत हानि हुई है उसकी भरपाई सहित इस षड्यंत्र के जिम्मेदार व्यक्तियों को आपराधिक कृत्य के लिए दण्डित करने हेतु संस्था कानूनी कार्यवाही करेगी।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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