हरिद्वार। कुष्ठ एवं असहाय लोक सेवा समिति की और से विष्णु लोक कॉलोनी में निःशुल्क चिकित्सा जांच शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में मरीजों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच के साथ उन्हें दवाएं भी वितरित की गयी। संस्था के अध्यक्ष नारायण आहूजा ने बताया कि कुष्ठ एवं असहाय लोगों को स्वास्थ्य जांच व दवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने कहा कि संस्था का प्रयास सराहनीय है। असहायों की सहायता करने से बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं है। इस तरह के स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन निंरंतर किया जाना चाहिए। डीआईजी करण सिंह नगन्याल ने कहा कि कुष्ठ एवं असहाय लोगों के लिए आयोजित किए गए चिकित्सा शिविर में शामिल होकर प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। उन्होंने संस्था को हरसंभव सहयेाग का आश्वासन भी दिया। पूर्व डीआईजी जगतराम जोशी ने कहा कि कुष्ठ एवं असहायों की सेवा के लिए किए जा रहे संस्था के प्रयास सराहनीय हैं। रानीपुर विधायक आदेश चौहान, पूर्व मेयर मनोज गर्ग, सभासद अशोक मेहता, पूर्व सीओ जेपी जुयाल सहित अन्य लोगों ने भी संस्था के कार्यों की सराहना की। शिविर में डा.मोहित वर्मा, डा.वीरेंद्र सिंह वर्मा, डा.अरुण चुघ, डा.राजीव चौधरी, डा.सुशील,डा.शिवम वर्मा,डा.पवन सिंह ने 1038 लोगो की स्वास्थ्य जांच कर उचित परामर्श दिया और दवाईयां वितरित की। समिति के सचिव दीपक सेठी,कोषाध्यक्ष सचिन अरोड़ा,अजय अरोड़ा,शुगर सिंह,राहुल बजाज,संजीव बब्बर,राजकुमार अरोड़ा,ओमप्रकाश विरमानी ,हनी कथूरिया,सरदार समरजीत,सरदार जसवीर सिंह,विक्की बाली,सागर अरोड़ा,गौतम गंभीर, प्रदीप सेठी,विपिन गुप्ता,विक्की तनेजा,हरीश तनेजा,राजकुमार मुखर्जी,तरुण डूडेजा, जयराम,तरुण अरोड़ा,डा.पवन, विनोद आदि ने सहयोग किया।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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