अंधविश्वास को नहीं, विवेक को दें महत्व: शैलदीदी
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चल रहे राष्ट्रीय सक्रिय कार्यकर्त्ता शिविर का सोमवार को समापन हो गया। इस शिविर में नारी जागरण, युवा जागरण, कन्या कौशल आदि शिविरों सहित विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों को गति देने के लिए देश भर से आये साधकों ने हाथ उठाकर शपथ ली। छत्तीसगढ़, उप्र, मप्र, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल सहित अनेक राज्यों के युवाओं को विधेयात्मक दिशा देने के उपक्रम को गति दी जायेगी। शिविर में छत्तीसगढ, उप्र, मप्र,पं.बंगाल,ओडिशा,दिल्ली,हरियाणा,पंजाब सहित १८ राज्यों के प्रांतीय,जिला,तहसील समन्वयक के अलाव देश भर के चयनित सक्रिय कार्यकर्त्ता शामिल रहे। अपने विदाई संदेश में शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि वर्तमान समय में भगवान विविध रूपों में परिवार, समाज एवं राष्ट्र के उत्थान हेतु आस्थावानों, निष्ठावानों एवं प्रतिभावानों को लगाया है, जो निरंतर अपने स्तर पर लगे हुए हैं और उन्हें सतत विभिन्न रूपों में सहयोग एवं मार्गदर्शन कर रहे हैं। श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि भारत विश्वगुरु की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। आवश्यकता केवल इतना ही है कि हम अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन में पीछे न रहे। यह समय अंधविश्वास को छोड़ने और विवेक के साथ आगे बढ़ने का है। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि महात्मा बुद्ध, गुरु गोविन्द सिंह, स्वामी रामकृष्ण परमहंस आदि महामानवों के निर्देशों पर उनके शिष्य विश्व भर में जन जन के विचारों को सकारात्मक दिशा देने के लिए निकले थे। आज वही समय पुनरावृत्ति के रूप में हजारों, लाखों भारतवासियों के लिए आया है। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा ने विभिन्न पौराणिक कथानकों के माध्यम से वर्तमान परिस्थितियों के समाधान हेतु सुझाव दिये। श्री शर्मा ने कहा कि यह समय समाज में फैली विषाक्तता को दूरकर उन्नत किस्म के बीज बोने का है। जिसकी छाया में हमारी भावी पीढ़ी सुकुन के साथ अपना जीवन यापन कर सकें। उन्होंने कहा कि ईमानदारी, समझदारी, जिम्मेदारी एवं बहादुरी के साथ होने वाले कार्य अवश्य सफल होता है। इस अवसर पर उन्होंने देश भर से आये प्रतिभागियों को लाल मशाल की प्रज्वलित अग्नि के समक्ष विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी के संकल्प दिलाये।शिविर समन्वयक ने बताया कि पांच दिन तक चले इस शिविर में कुल 14 सत्र हुए हैं,जिसमें डॉ.चिन्मय पण्ड्या,डॉ.ओपी शर्मा, डॉ.गायत्री शर्मा, प्रो.विश्वप्रकाश त्रिपाठी, श्यामबिहारी दुबे, प्रो.प्रमोद भटनागर सहित अनेक विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये। समापन अवसर पर वरिष्ठ कार्यकर्ता शिवप्रसाद मिश्र, योगेन्द्र गिरि आदि सहित देश भर के प्रज्ञा संस्थानों से जुड़े तीन हजार से अधिक सक्रिय कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।
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