हरिद्वार। भेल कारखाने के बारे मे सरकार व मंत्री कुछ भी दावा करें, पर भेल की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। वैसे तो भेल ने सरकार को 88 करोड़ का लाभांश दिया है। जब सरकार लाभांश दिया जा रहा तो आधिकारिओ को तंख्वा देने के पैसे क्यों नहीं है ? बताते चले कि गत महा भी ई एम बी के कर्मचरिओं के वेतन देने मे 22 दिन का विलंब क्यों ? भेल की यह हालत देख कर वर्कर्स के माथे पर चिंता की लकीरें आना स्वभाविक है। कहीं आगामी महा मे वर्कर्स के वेतन पर तो असर पड़ने वाला नहीं। इस बात को लेकर भेल कारखाने मे चर्चाओं का बाजार गरम है। जबकि भेल के आधिकारियो को वेतन मे 10दिनों की देरी की सूचना 1दिसंबर को ही मिली जब उनके खाते मे वेतन का पैसा नही आया। जबकि कॉर्पोरेट का यह मैसेज लोगो को अनऔफिसियाल् रूप से 30नवंबर की दोपहर से लोगो के मोबाइल पर घूम रहा है। जब भेल की यह हालत है तो फसूल खर्च कम क्यों नही किये जाते। अभी हाल मे भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्री के आगमन पर भारी भरकम बजट का कार्यक्रम क्यों किया गया। यह वही बात हो गई कि हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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