हरिद्वार। ब्र्ह्मलीन महंत माई ब्रह्मगिरी महाराज,श्रीमहंत बुद्धगिरी महाराज,श्रीमहंत माई प्रयाग गिरी महाराज एवं महन्त माई भरत गिरी महाराज के निर्वाण दिवस पर उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए संत समाज ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। भीमगोडा स्थित माई काली कमली आश्रम की श्रीमहंत माई विजय गिरी महाराज के संयोजन में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जूना अखाड़े के श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज ने कहा कि ब्र्ह्मलीन महंत माई ब्रह्मगिरी महाराज, श्रीमहंत बुद्धगिरी महाराज,श्रीमहंत माई प्रयाग गिरी महाराज एवं महन्त माई भरत गिरी महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत और त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर सद्मार्ग पर अग्रसर करने में व्यतीत किया। तपस्वी संतों का जीवन सदैव समाज को प्रेरणा देता रहेगा। कार्यक्रम में उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए श्रीमहंत विजय गिरी महाराज ने कहा कि वे सौभाग्यशाली है कि उन्हें ब्र्ह्मलीन महंत माई ब्रह्मगिरी महाराज, श्रीमहंत बुद्धगिरी महाराज, श्रीमहंत माई प्रयाग गिरी महाराज एवं महन्त माई भरत गिरी महाराज जैसे महान गुरूओं का सानिध्य प्राप्त हुआ। गुरूओं से प्राप्त शिक्षाओं व ज्ञान का अनुसरण करते हुए आश्रम के सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाते हुए संत सेवा व मानव कल्याण में योगदान कर रही हैं। जूना अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत केदारपुरी महाराज,महंत देवानंद सरस्वती एवं श्रीमहंत शिवशंकर गिरी महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों ने सदैव समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर किया। संत महापुरूषों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही मनुष्य के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सभी को सद्गुरू से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। श्रीमहंत गोपाल तरी,भागीरथी माता,हरिद्वार गिरी,गंगा गिरी,सावित्री गिरी,सोमवार गिरी, पार्वती गिरी,भागवताचार्य पुष्पा जोशी ने सभी संत महापुरूषों को फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमहंत प्रेमगिरी,श्रीमहंत केदारपुरी, महंत शिवशंकर गिरी,महंत देवानन्द सरस्वती,महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास,स्वामी ऋषि रामकृष्ण,स्वामी राजेंद्रानंद,स्वामी शिवानन्द,महंत श्यामप्रकाश,स्वामी चिदविलासानंद,समाजसेवी वीरसिंह सहित बड़ी संख्या में संत महंत मौजूद रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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