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शांतिकुंज में राष्ट्रीय सक्रिय महिला कार्यकर्त्ता शिविर का शुभारंभ

 सौभाग्य के उदय का अवसर: डॉ चिन्मय पण्ड्या


हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में पांच दिवसीय राष्ट्रीय सक्रिय महिला कार्यकर्ता शिविर का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। इस शिविर में उत्तराखण्ड, मप्र, उप्र, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल,महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ सहित दस राज्यों एवं नेपाल से आई करीब तीन हजार बहिनें शामिल है। शिविर के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापकद्वय युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा द्वारा सत्तर वर्ष पूर्व चलाये गये नारी जागरण अभियान से करोड़ों बहिनें जुड़कर अपने जीवन, परिवार संवार रही हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह सद्गुरु घर्षण, तप, छेदन एवं मार्जन के द्वारा अपने शिष्यों का परिमार्जन करते हैं, उसी तरह हमारे सद्गुरु युगऋषि पूज्य पं.श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने ईश्वरीय योजना के लिए गायत्री परिवार को प्रशिक्षित किया है। उसी का परिणाम है कि आज गायत्री परिवार की बहिनें संस्कारों के संचालन से लेकर बड़े से बड़े यज्ञीय आयोजनों का संचालन कर रहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन में योग विशेषज्ञ डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि पूज्य आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा जी की पीड़ा हमारे धड़कनों में धड़क रही है, इसलिए गायत्री परिवार के करोड़ों साधक परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास में निःस्वार्थ भाव से अपना योगदान दे रहे हैं। अध्यात्म क्षेत्र का वैश्विक स्तर पर नोबेल माने जाने वाले टेम्पल्टन पुरस्कार के ज्यूरी मेंबर डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह समय अपने सौभाग्य को जगाने का अवसर है। समाज के चहुंओर जब अंधेरा हो, तब अपने घर से एक दीया जलाने की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के प्रमुख सदस्यों में से एक डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने सतत अध्ययन, कर्मशील, श्रमदान और समयदान को व्यक्तित्व परिष्कार की प्रथम सीढ़ी बताया। शांतिकुंज के जोनल समन्वयक डॉ.ओपी शर्मा ने युगधर्म के दो चरण अंशदान एवं समयदान विषय पर विस्तार से जानकारी दी। शिविर के समन्वयक के अनुसार पांच दिन तक चलने वाले इस शिविर में 14 सत्र होंगे, जिसमें विभिन्न विषयों पर विषय विशेषज्ञ प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करेंगे।


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